लखनऊ। शासन ने संकेत दिए हैं कि आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और दो बच्चों वाले नियम को अनिवार्य किया जा सकता है। पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र चाौधरी ने भी साफ किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों के संपूर्ण विकास और सुधार को संकल्पबद्ध सरकार शैक्षिक योग्यता और दो बच्चों वाले नियम पर गंभीरता से विचार कर रही है। ऐसा हुआ तो कइयों का पंचायत चुनाव लड़ने का सपना चकनाचूर हो जाएगा। अंगूठा टेक व्यक्ति ग्राम प्रधान या जिला पंचायत सदस्य नहीं बन सकेगा। यूपी सरकार हरियाणा, राजस्थान और उड़ीसा आदि राज्यों की पंचायत निर्वाचन प्रक्रिया का अध्ययन कर रही है। इन राज्यों में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए आठवीं से लेकर इंटरमीडिएट तक की परीक्षा पास करना जरूरी है।
यूपी में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर की मध्यरात्रि के बाद समाप्त हो जाएगा। 26 दिसंबर को प्रधानों का कार्यभार एडीओ पंचायतों के हवाले किया जा सकता है। राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। मार्च में पंचायत निर्वाचन प्रक्रिया शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। चुनाव प्रक्रिया में सुधार की दिशा में दो बच्चों वाला कानून भी लागू किया जा सकता है। सरकार का यह भी मानना है कि प्रधान पढ़ा लिखा होगा तो व्यवस्था पंचायत सचिवों के भरोसे नहीं चलेगी। इसलिए दोनों विकल्पों को लागू किया जा सकता है। हालांकि शासन के फैसले के बाद ही तस्वीर साफ हो सकेगी।