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चंदौलीराज्य/जिलाहेल्थ

चंदौलीः चाहते हैं लंबी उम्र और निरोगित काया तो मानिए डाक्टर की सलाह, जानिए क्या करें क्या न करें

चंदौली। शायद ही कोई ऐसा परिवार हो जहां पेट से जुड़ी समस्या न हो। पित्त की थैली में पथरी की परेशानी आम हो चुकी है। वयस्कों के साथ युवा भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। यह समस्या सीधे तौर पर हमारे रहन-सहन और खान-पान से जुड़ी है। गुजरात के रहने वाले मैक्सवेल हास्पिटल डाफी से जुड़े मशहूर जनरल सर्जन डा. हर्ष द्विवेदी बताते हैं कि किस तरह से कुछ सावधानियां बरतते हुए जीवन शैली में बदलाव लाकर हम पेट से जुड़ी बीमारियों को दूर भगा सकते हैं।

पित्ताशय में पथरी के प्रमुख कारण
डा. हर्ष द्विवेदी बताते हैं कि पित्त की थैली में पथरी का प्रमुख कारण पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा और भोजन में इस्तेमाल होने वाले हानिकारक खाद्य तेल हैं। गंगा के किनारे बसे शहरों में रहने वालों में यह समस्या अधिक आ रही है। रिफाइंड और सरसों के तेल के अधिक इस्तेमाल से भी पित्त की थैली में पथरी की दिक्कत आ रही है। यहां तक कि युवाओं तक का गाल ब्लाडर आपरेशन के जरिए निकालना पड़ रहा है। जबकि दक्षिण भारत या समुद्री तट के किनारे बसे शहरों के लोगों में यह दिक्कत नहीं आती है। कारण वहां के लोग सरसों के तेल और रिफाइंड का इस्तेमाल भोजन में नहीं करते हैं।

कैसे पाएं निरोगित काया
डा. हर्ष द्विवेदी बताते हैं कि सबसे पहले सरसों तेल और रिफाइंड आयल का प्रयोग कम करना होगा। सूरजमुखी, नारियल तेल और मूंगफली का तेल प्रयोग में लाएं। कम से कम प्रत्येक तीन माह में अपना तेल बदल दें। जैसे तीन माह सरसों तेल इस्तेमाल कर रहे हैं तो तीन माह बाद सूरजमुखी का तेल प्रयोग करें। इसके तीन माह बाद मूंगफली का तेल भोजन में इस्तेमाल करें। रात का भोजन अधिकतम सात बजे तक कर लें। इससे भोजन को पचने का पर्याप्त समय मिलता है। दिन में कम से कम चार लीटर पानी जरूर पिएं। दिन में तीन बार थोड़ा-थोड़ा कर के खाएं। यदि दो भोजन के बीच छह घंटे का अंतराल रखते हैं तो वजन नियंत्रित रहेगा। शराब के साथ मीट का सेवन न करें। लंबे समय तक ऐसा करने से पेट के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

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