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चंदौलीराज्य/जिलाविधान सभा चुनाव

अतीत के झरोखे सेः पिछले विधानसभा चुनाव में शारदा को सबसे अधिक व श्वेता को मिले थे सबसे कम वोट

चंदौली। सियासी विसात में किसी बाजी भारी पड़ेगी और कौन मात खा जाएगा, यह मतदाताओं के मूड पर निर्भर करता है। जनता का भरोसा जिसके ऊपर जम गया उसकी झोली वोटों से भर जाती है तो किसी को मतों के अकाल का सामना करना पड़ता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में चकिया विधायक शारदा प्रसाद और पूर्वांचल पीपुल्स पार्टी की श्वेता पांडेय के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। शारदा प्रसाद को चारों विधानसभा के प्रत्याशियों में सर्वाधिक मत मिले तो श्वेता को सबसे कम।

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बसपा छोड़कर पार्टी में आए शारदा प्रसाद को चकिया सुरक्षित सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था। शारदा संगठन की उम्मीदों पर खरे उतरे। उन्होंने 41.30 फीसद मत हासिल किए थे। उन्हें कुल 96,890 मत मिले। वहीं मुगलसराय विधानसभा से मैदान में उतरी श्वेता पांडेय अपनी जमानत नहीं बचा पाई थीं। उनको मात्र 261 मतों से ही संतोष करना पड़़ा। जिले में इस बार सातवें चरण में सात मार्च को मतदान होगा। चारों विधानसभा से इस बार 43 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। सभी प्रत्याशी मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। सत्तारूढ दल के उम्मीदवार सरकार के विकास कार्य व पार्टी की नीतियां गिनाकर मैदान में डंटे हैं तो विपक्षी सरकार के विकास कार्यों व सुशासन के दावों को खोखला बताते हुए अपनी पार्टी के घोषणापत्र बता रहे हैं। चारों विधानसभा सीटों पर सियासत गरमाई है। यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा कि मतदाताओं ने किस पर प्यार लुटाया और किसी झोली खाली रह गई। इस बार विधानसभा चुनाव में भी कई नए रिकार्ड बनेंगे तो पुराने ध्वस्त होंगे।

पार्टी ने इस बार शारदा को किया दरकिनार
भाजपा ने पिछले चुनाव में सबसे अधिक वोट पाने वाले अपने प्रत्याशी और वर्तमान विधायक शारदा प्रसाद को इस बार टिकट नहीं दिया। उनके स्थान पर आरएसएस से जुड़े रहे कैलाश खरवार को चकिया विधानसभा से प्रत्याशी बनाया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कैलाश भी शारदा की तरह मतदाताओं का भरोसा जीत पाते हैं अथवा नहीं।

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