fbpx
राज्य/जिलावाराणसी

कहीं मंगल तो आपके जीवन में नहीं कर रहा अमंगल


पं अभुलेंद्र दूबे की कलम से
6388403618

वाराणसी। मंगल ग्रह का नाम आते ही लोग डर जाते हैं। यह क्रूर ग्रह जरूर है लेकिन अशुभ नहीं। कुंडली में हर ग्रह शुभ और अशुभ फल देते हैं। ऐसे ही मंगल भी पापी ग्रह होते हुए भी दोनों तरह के फल देने के लिए बाध्य है। जिसकी कुंडली में मंगल लग्न चैथे, सांतवें और आठवें तथा बारहवें भाव में बैठ जाता है वह कुंडली मंगली हो जाती है। इस लिए मंगल सबसे हानिकारक ग्रह माना जाता है। यह मकर राशि में उच्च का और कर्क में नीच का माना जाता है। यह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी होता है। आइये जानते हैं कुंडली के 12 भावों में मंगल का अशुभ प्रभाव।

प्रथम भाव में मंगल
कुण्डली के प्रथम भाव अर्थात लग्न में मंगल बैठा हो तो जातक को साहसी किंतु झूठा और मक्कार बना देता है। दांपत्य जीवन को कष्टकारी बनाने के साथ ही भाइयों के लिए भी अनिष्टकारक साबित होता है। दो विवाह का योग बनता है। यदि बारहवें भाव में चन्द्रमा बैठ गया होता जातक दरिद्र बनाता है।
कैसे दूर करें अशुभता
मंगल की अशुभता को दूर करन के लिए हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें। मिट्टी के घड़े में गुड़ डालकर मंगलवार को सुनसान स्‍थान में रख आएं और मंगलवार का व्रत रखें।

दूसरे भाव में मंगल
कुण्डली के दूसरे भाव में बैठा मंगल शत्रु क्षेत्रीय होतो जातक को करीब 9 वर्षों तक रोग से पीड़ित रखता है। यदि जातक अपने भाइयों से छोटा है तो बड़े भाई के लिए घातक सिद्ध होता है।
कैसे दूर करें अशुभता
बजरंग बाण का पाठ करें, मंगलवार का व्रत रखें। पांच छुहारे बहते जल में प्रवाहित करें। सदैव अपने पास लाल रूमाल रखें। बंदरों को गुड़ खिलाएं।

तीसरे भाव में मंगल
कुण्डली में तीसरे भाव में बैठा मंगल मित्र राशि में होतो जातक को पराक्रमी बनाता है। अगर शत्र राशि में हो तो जातक शराबी होता है। चालबाज एवं धोखेबाज होता है। जातक ब्लड प्रेशर का रोगी भी हो सकता है।
कैसे दूर करें अशुभता
धोखेबाज लोगों से दूर रहें। लग्न मित्र रा‍शि होतो साढ़े पांच रत्ती मूंगा रत्न शुद्ध सोने की अंगूठी में जड़वाकर मंगलवार को धारण करें, हाथी के दांत से बनी वस्तुएं घर में कत्तयी न रखें। एक चांदी की अंगूठी अपने बाएं हाथ की उंगली में धारण करें।

चाौथे भाव में मंगल
कुण्डली के चाौथे भाव में मंगल बैठा हो तो जातक मांगलिक होता है। यहां बैठा मंगल पीड़ित हो तो जातक संतानहीन हो सकता है। जातक किसी न किसी रोग से पीड़ित रहता है। मंगल चैथे खाने में हो और बुध 12वें हो तो जातक पूर्ण रूप से दरिद्र होता है।
कैसे दूर करें अशुभता
सर्व प्रथम त्रिधातु की अंगूठी धारण करें। गले में अथवा दाहिने बाजू पर सिद्ध मंगल यंत्र धारण करें। अपने घर में देवी देवताओं की मूर्तियां कभी स्‍थापित न करें। लग्न मित्र होतो सोने की अंगूठी में मूंगा रत्न जड़वार कर मंगलवार को धारण करें।

पांचवें भाव में मंगल
कुण्डली के पांचवें भाव में मंगल बैठा हो तो ऐसा जातक अमूमन पाप कर्म में लिप्त व शराबी पाया जाता है। उसके ‍जीवन परेशानियां लगी रहती हैं। जातक मिरगी का रोगी भी हो सकता है। जातक की स्त्री भी रोग से पीड़ित रहती है। पढ़ाई और आय में भी रुकावट का सामना करना पड़ता है।कैसे दूर करें अशुभता
सिद्ध मंगल यंत्र गले में धारण करें या सवा पांच रत्ती के मूंगे की अंगूठी बनवाकर दाहिने हाथ की उंगली में मंगलवार के दिन धारण करें। मंगलवार का व्रत रखें। मंगलवार को हनुमान मंदिर में धार्मिक किताब बांटें।

छठें भाव में मंगल
जिसकी कुण्डली में मंगल छठें भाव में होता हैए वह जातक बवासीर या ब्लडप्रेशर का रोगी हो सकता है। जातक में कामुकता अधिक होती है और वह पराई स्त्रियों पर बुरी नीयत रखता है। मंगल छठे और बुध 12वें भाव में हो तो जातक के भाई.बहनों को परेशानी लगी रहती है।
कैसे दूर करें अशुभता
मंगलवार के दिन चार सूखे ना‍रियल नदी में प्रवाहित करें। मंगलवार के दिन हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाएं और पीले लड्डू का प्रसाद चढ़ाकर लोगों को बांटें। मंदिर में हनुमान चालीसा बांटें। कुंवारी कन्याओं की सेवा करें।

सातवें भाव में मंगल
कुण्डली के सातवें भाव में मंगल बैठा हो तो जातक की स्त्री उग्र स्वभाव की होगी। जातक क्रोध के कारण अपना ही नुकसान कर लेता है। जातक प्रायरू पुत्रहीन होता है। यहां का मंगल पराई स्त्री से संबंध बनवा देता है।

कैसे दूर करें अशुभता
जातक हमेशा लाल रूमाल व चांदी की ठोस गोली बनवाकर सदैव अपनी जेब में रखे। मंगलवार के दिन लस्सी जरूर पियें। बहन को मंगलवार के दिन अपने हाथ से मिठाई खिलाएं। पत्नी बीमार रहती है तो मूंगे की अंगूठी धारण करें। हनुमानजी का व्रत रखेंए हनुमान चालीसा बांटें।

आठवें भाव में मंगल
कुण्डली में आठवें भाव में मंगल बैठा हो तो जातक अल्प आयु वाला तथा दरिद्र होता है। जातक के लिए 28 वर्षों तक कष्ट बना रहता है। मंगल आठवें भाव में हो और बुध छठे भाव में हो तो जातक की माता की मृत्यु कम उम्र में होने की आशंका रहती है। जातक को मुकदमे में फंसने का डर रहता है।
कैसे दूर करें अशुभता
गले में चांदी की चेन धारण करें। जातक विधवा स्त्री की सेवा करे। सिद्ध मंगल यंत्र और त्रिधातु की अंगूठी धारण करें। हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें और मंगलवार को हनुमान चालीसा मंदिर में जाकर बांटें।

नौवें भाव में मंगल
कुण्डली में नवम् भाव में मंगल हो तो जातक क्रोधी स्वभाव का होता है। उसकी विद्या अधूरी रह जाती है। जातक ईमानदार हो फिर भी बदनामी मिलती है। सफलता के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। स्त्री की कमाई पर जीवन.यापन करता है।
कैसे दूर करें अशुभता
तांबे के सात चैकोर टुकड़े बनाकर मिट्टी के नीचे दबा दें। मंगलवार को 21, 51 या 101 हनुमान चालीसा बांटें। मंगलवार को हनुमानजी को सिंदूर एवं लड्डू चढ़ाएं। सिद्ध मंगल यंत्र धारण करें।

दसवें भाव में मंगल
कुंडली के दसवें भाव में बैठा मंगल जातक को चोरी के आरोप में जेल भजवा सकता है। मंगल दसवें, सूर्य चैथे, बुध छठे खाने में हो तो जातक एक आंख का काना हो सकता है। मंगल के साथ कोई पापी ग्रह हो तो जातक बर्बाद हो जाता है। मंगल के अशुभ प्रभाव से जातक 15 वर्ष तक बीमार रह सकता है।
कैसे दूर करें अशुभता
मंगलवार को हनुमानजी को लड्‍डू चढ़ाएं। संतानहीन की सेवा करें। घर में हिरण पालें। मंगलवार को मीठा भोजन करें। मंगलवार को मंदिर में हनुमान चालीसा बांटें।

ग्यारहवें भाव में मंगल
कुडली के ग्यारहवें भाव में मंगल बैठा तो हो जातक कर्जदार रहता है। जातक की संतान झगड़ालू होती है। जातक को मित्रों से धोखे मिलते हैं। शिक्षा में विघ्न बाधाएं आती हैं। यहां बैठा मंगल यदि अपनी उच्च या मित्र राशि का हो तो शुभ फल भी प्रदान करता है।
कैसे दूर करें अशुभता
घर में काला कुत्ता पालें। हर रोज केसर का तिलक लगाएं। बिना वजह कर्ज लने से परहेज करें। मंगल का व्रत रखें और मंदिर में पीले लड्‍डू का प्रसाद बांटें।

बारहवें भाव में मंगल
कुण्डली में बारहवें भाव में बैठा मंगल शत्रुओं से हानि कराता रहता है। जीवन में लाभ से अधिक व्यय कराता है। घर में चोरी होने का डर बना रहता। पत्नी से भी अनबन कराता है। जातक संतानहीन भी हो सकता है।
कैसे दूर करें अशुभता
जातक गले में चांदी की चेन धारण करे एक लाल रूमाल सदैव अपने पास रखे। मंगलवार के दिन एक किलो पतासे बहते जल में प्रवाहित करे। कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। साढ़े पांच रत्ती का मूंगा धारण करें।

नोट. मंगल अपना शुभ, अशुभ प्रभाव अपनी महादशा, अर्तंदशा व प्रत्यंतर दशा में ही देता है

Leave a Reply

Back to top button
error: Content is protected !!