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चंदौली में धान खरीद में फिसड्डी साबित हो रहीं निजी एजेंसियां, भाजपा नेता भी असंतुष्ट

 

चंदौली। किसान अपनी धान की फसल सड़क पर गिराकर प्रदर्शन कर रहे हैं। सक्षम अधिकारी जवाबदेही से बच रहे हैं। सत्ताधारी दल भाजपा  के नेता खरीद प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में सहज  अंदाजा लगाया जा सकता है कि धान का कटोरा कहे जाने वाले चंदौली जिले में धान खरीद किस स्थिति में है। निजी एजेंसियां तकरीबन फिसड्डी साबित हो रही हैं। यूपी एग्रो, नैफेड आदि एजेंसियां अपने मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहीं। इससे किसानों में असंतोष व्याप्त है और बिचाौलियों को दखलअंदाजी का भरपूर मौका मिल रहा है। चंदौली में एक लाख 95 हजार एमटी धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए 92 एजेंसियों को लगाया गया है। जबकि अबतक तकरीबन 70 हजार एमटी धान की खरीद हुई है।

भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष राणा प्रताप सिंह, जिला पंचायत सदस्य सूर्यमुनी तिवारी आदि भाजपा नेता अपना पूरा दिन तकरीबन धान क्रय केंद्रों पर ही बिता रहे हैं। यह देखने के लिए कि शासन की मंशा के अनुरूप किसानों का धान खरीदा जा रहा है या नहीं। और इन्हीं नेताओं से पूछिए तो  जवाब मिलेगा कि खरीद उस अनुरूप नहीं हो पा रही है। किसानों की शिकायत लगातार बढ़ती जा रही है। संबंधित अधिकारियों का फोन कभी बंद तो कभी कवरेज एरिया के बाहर हो जा रहा है। प्रदेश उपाध्यक्ष किसान मोर्चा राणा प्रताप सिंह कहते हैं कि शासन की सख्ती के बाद भी कुछ ऐजेंसियां लापरवाही से बाज नहीं आ रहीं। जबकि सरकार की मंशा साफ है कि किसानों का शत प्रतिशत धान खरीदा जाए और उनको समय से भुगतान भी हो जाए। जिले के सांसद और कैबिनेट मंत्री डा. महेंद्रनाथ पांडेय ने सराहनीय पहल करते हुए एक किसान का 125 क्विंटल धान एक बार में क्रय करने की व्यवस्था सुनिश्चित करा दी है बावजूद कुछ अधिकारी और केंद्र प्रभारी लापरवाही बरत रहे हैं। लेकिन ऐसे लोग यह भी जान लें कि बगैर धान की खरीद किए उनको यहां से हिलना तक नहीं है। धान खरीदें और समय से भुगतान करें नहीं तो शासन स्तर से कार्रवाई भी तय है।

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