जन-जन के प्रिय भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं में उनके खानपान का वर्णन विस्तार से मिलता है। उन्हें दूध, दही, माखन, फल, खीर, लड्डू आदि अत्यंत प्रिय थे। पुराणों में वर्णन मिलता है कि श्रीकृष्ण खानपान के इतने शौकीन थे कि उनकी माता यशोदा उन्हें दिन में आठ बार तरह-तरह के पकवान बनाकर खिलाया करती थी।
जब वे सात दिन के लिए मथुरा गए थे और जब वापस लौटे तो मैया यशोदा ने उन्हें सात दिन आठ बार के भोजन के रूप में 56 प्रकार के पकवान बनाकर खिलाए थे तभी से 56 भोग की परंपरा प्रारंभ हुई। 56 भोग में से भी श्रीकृष्ण को पांच वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं जिनके बारे में जान लीजिए। इन वस्तुओं का भोग जन्माष्टमी के दिन लगाइए श्रीकृष्ण प्रसन्न होंगे।
माखन मिश्री
माखन मिश्री श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है। जन्माष्टमी के दिन माखन मिश्री का भोग उन्हें अवश्य अर्पित करें। गोकुल में रहने के दौरान वे अपने मित्रों के साथ गोपियों द्वारा छुपाकर रखे गए माखन को चुराकर खा जाया करते थे।
दूध- दही
श्रीकृष्ण को दूध-दही भी अत्यंत प्रिय है। वृंदावन में गोपियां जब दूध-दही बेचने निकलती थी तो श्रीकृष्ण अपने मित्रों सबसे प्रिय वानरों के साथ दूध-दही की हांडियां तोड़कर सारा दही खा जाया करते थे और दूध पी जाया करते थे।
घृत से बनी वस्तुएं
मैया यशोदा श्रीकृष्ण को शुद्ध घी से तरह-तरह के पकवान बनाकर खिलाया करती थी। इसलिए जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण को गौ घृत से बने पकवान बनाकर भोग लगाने का अपना अलग ही महत्व है।
खीर
खीर श्रीकृष्ण का प्रिय भोजन है। आज भी बड़े श्रीकृष्ण मंदिरों में उन्हें खीर का नैवेद्य अवश्य लगाया जाता है। खीर में केसर, इलायची और समस्त सूखे मेवे डालकर श्रीकृष्ण को नैवेद्य लगाएं और उनकी प्रसन्नता पाएं।
फल
श्रीकृष्ण फलों के अत्यंत शौकीन हैं। उन्हें आम, केले, सीताफल, पपीता सहित समस्त प्रकार के फल अत्यंत प्रिय हैं। फलों का नैवेद्य लगाने से वे प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं।