fbpx
क्राइमचंदौलीराज्य/जिला

चंदौलीः महज 20 वर्ष के युवकों के कारमाने जान रह जाएंगे दंग, अलीनगर पुलिस ने पकड़ा खेल, सैयदराजा पुलिस फेल

चंदौली। यूपी बिहार बार्डर में नौबतपुर में फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाने संबंधी मामले का एक बार फिर भंडाफोड़ हुआ है। गिरोह का सरगना बुधवार की रात सैयदराजा थाना क्षेत्र के बरठी कमरौर से अलीनगर पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसके दो साथी भी पकड़े गए। गिरोह फर्जी ड्रइविंग लाइसेंस से लेकर वन विभाग की जाली रसाद और ई-चालान बनाने का काम करता था। पुलिस ने भारी मात्रा में कूटरचित दस्तावेज, लैपटाप, प्रिंटर, स्कैनर, मोहर आदि बरामद किया है। दिलचस्प यह कि महीनों से यह खेल चल रहा था और सैयदराजा पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।

वन विभाग की शिकायत पर सक्रिय हुई पुलिस
बीते पांच अगस्त को वन विभाग के दारोगा संजय कुमार ने अलीनगर थाने पर प्रार्थना पत्र देकर शिकायत की कि लकड़ी लादकर सैयदराजा बार्डर से रामनगर की ओर जा रहे ट्रक की जांच की गई तो ड्राइवर के पास से वन विभाग का फर्जी अभिवहन पास और परिवहन रसीद मिली। एसपी के निर्देश पर अलीनगर थाना प्रभारी संतोष सिंह ने बरठी कमरौर गांव में छापेमारी कर बरठी निवासी 20 वर्षीय गुफरान खां, परेवा निवासी 25 वर्षीय पवन कुमार गुप्ता और नौबतपुर के 22 वर्षीय इरफान खां को गिरफ्तार कर लिया। मौके पर भारी मात्रा में कूटरचित दस्तावेज, फिंगर प्रिंट स्कैनर, लैपटाप, प्रिंटर, फर्जी मोहर आदि बरामद हुए

फाइल फोटो

20 वर्ष का युवक चला रहा था गिरोह
गिरोह का सरगना गुफरान खां उर्फ सोनू पहले बेशकीमती अष्टधातु के शंख के साथ पकड़ा जा चुका है। तत्कालीन पुलिस कप्तान संतोष सिंह के निर्देश पर मुगलसराय के कोतवाल शिवानंद मिश्रा ने शातिरों को गिरफ्तार किया था। जेल से छूटने के बाद फिर से बरठी कमरौर में जाली दस्तावेज बनाने का अपना सिंडिकेट चला रहा था। नौबतपुर में पहले भी इस तरह के अवैध खेल का भंडाफोड़ हो चुका है लेकिन सैयदराजा पुलिस की निष्क्रियता से जालसाजों ने एक बार फिर से अपना धंधा जमा लिया था। आरोपितों ने पुलिस को बताया कि वे बिहार से कोयला आदि लादकर आने वाले ट्रकों का फर्जी अभिवहन पास, सी-6सी और शिड्यूल सी रसीद बनाकर ट्रक चालकों को देते थे ताकि वह जुर्माने से बच सकें। प्रति रसीद 1750 रुपये लेते थे। साथ ही ई-चालान को कूटरचित तरीके से एडिट कर उसकी तिथि बदल देते थे और इस काम के एवज में 300 रुपये लेते थे। बड़े पैमाने पर डीएल बनाने का काम भी करते थे और जो पैसे मिलते उसे आपस में बांट लेते थे। पुलिस टीम में प्रभारी निरीक्षक संतोष सिंह, वरिष्ठ उप निरीक्षक रमेश यादव, श्रीकांत पांडेय, बाबू राम यादव, नीरज सिंह, सुनील सिंह, सुमित सिंह आदि शामिल रहे।

Back to top button
error: Content is protected !!