चंदौली। कोविड काल में अस्पतालों में मरीजों के उपचार और देखभाल के लिए रखे गए कर्मचारियों को शासन ने नौकरी से निकालने का अल्टीमेटम दिया है। शासन से पत्र जारी कर बताया गया है कि 31 जुलाई के बाद उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। उनके लिए एनएचएम के पास बजट का प्रावधान नहीं है। शासन के फरमान के बाद कोविड कर्मचारियों में खासा रोष है। कर्मियों ने बांह पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। वहीं चेताया कि यदि उन्हें समायोजित नहीं किया गया तो लखनऊ में एनएचएम आफिस का घेराव करेंगे।
एमडी एनएचएम की ओर जारी पत्र में कहा गया है कि एनएचएम के पास कोविड कर्मियों को मानदेय देने के लिए बजट नहीं है। ऐसे में 31 जुलाई तक इनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। जिलों में जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी चाहें तो इनकी सेवा ले सकते हैं, लेकिन इसके लिए एनएचएम की ओर से कोई फंडिंग नहीं होगी। शासन के पत्र के बाद कोविड कर्मियों ने जिले के अधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने भी उन्हें आगे सेवा में रखने के हांथ कड़े कर दिए। इसको लेकर कोविड कर्मियों में रोष गहरा गया है। उनका कहना रहा कि कोरोना काल में जब मेडिकल स्टाफ की कमी थी तो उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने में अहम योगदान दिया, लेकिन हालात सामान्य होने के बाद उन्हें बार-बार निकालने की कोशिश की जा रही है। यह सरासर गलत है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसको लेकर डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से मुलाकात करेंगे। वहीं जरूरत पड़ी तो लखनऊ एनएचएम दफ्तर में आंदोलन कर विरोध जताएंगे। अश्वनी तिवारी, राजन तिवारी, मनीष, अमन सिंह, जयशंकर, देवानंद, आरती मौर्या, जितेंद्र आदि शामिल रहे।