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Chandauli News : रेल के बड़े अधिकारियों की गर्दन तक पहुंचे सीबीआई के हाथ, चल रही पूछताछ, करोड़ों रुपए बरामद होने की खबर, आखिर सीबीआई को कैसे लगी काले कारनामे की भनक

चंदौली। लोको पायलट इंस्पेक्टर परीक्षा में धांधली के आरोपों में पकड़े गए रेलकर्मियों से सीबीआई टीम की पूछताछ जारी है। करोड़ों रुपये की बरामदगी की बात सामने आ रही है। धांधली के इस खेल में सिर्फ रेलकर्मी और लोको पायलट ही संलिप्त नहीं, बल्कि इसके पीछे बहुत बड़े रैकेट का खुलासा होने की उम्मीद है। कई बड़े अधिकारी भी इसकी जद में आ सकते हैं। बीती रात से ही CBI की विशेष टीम डिटेन किए गए लोगों से पूछताछ कर रही है, जिससे रेलवे महकमे में हड़कंप मचा हुआ है।

CBI के डिप्टी एसपी के नेतृत्व में दर्जनभर अधिकारी जांच में जुटे हैं। पीडीडीयू रेल मंडल के वरिष्ठ DEEOP सुशांत पराशर को हिरासत में लिया गया, जबकि हिमांशु पराशर को मुगलसराय के कालीमहाल इलाके के लॉज से रंगे हाथ पकड़ा गया। यह धांधली पूर्व मध्य रेलवे इंटर कॉलेज, प्लांट डिपो में आयोजित चीफ लोको पायलट इंस्पेक्टर परीक्षा में हो रही थी। CBI ने करीब 1 करोड़ रुपये भी बरामद किए हैं। इस परीक्षा में 80 परीक्षार्थी शामिल होने वाले थे। DRM राजेश कुमार समेत रेलवे अधिकारी मौके पर मौजूद हैं। मामले की गहन जांच जारी है।

 

सीबीआई को ऐसे लगी भनक

पुलिस सूत्रों की मानें तो लोको पायलटो प्रमोशन के लिए एग्जाम देने आए थे। रेलवे के कार्मिक विभाग के एक बाबू ने सभी को लान में ठहराता था। आरोप है कि परीक्षा में नकल कराकर प्रमोशन दिलाने के एवज में रिश्वत ली गई थी। इसकी सूचना सीबीआई को हो गई। सीबीआई के अधिकारियों ने तत्काल कर्रवाई करते हुए सभी लोको पायलटों को हिरासत में ले लिया है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर के काली महाल स्थित राज मैरेज लान है।

लान का संचालन चुन्ना नामक व्यक्ति करता है। चुन्ना के मोबाइल फोन पर पीडीडीयू रेल मंडल मुख्यालय के कार्मिक विभाग के बाबू संजय मिश्रा का फोन आया। संजय ने कहा कि कुछ लोको पायलट प्रमोशन के एग्जाम देने के लिए आए हैं। उन्हें लान में रुकने की व्यवस्था कर दो। इसकी जानकारी सीबीआई को हो गई। रिश्वत लेकर सभी का एग्जाम पास करा कर प्रमोशन कराया जा रहा था। पूरे मामले की जानकारी सीबीआई को हो गई थी। सीबीआई अधिकारियों की सूचना पर इंस्पेक्टर विजय बहादुर तत्काल फोर्स के साथ लान पहुंचे और नौ लोको पायलट को हिरासत में लिया। हालांकि, इस पूरे मामले के पीछे वरीय मंडल कार्मिक अधिकारी सुरजीत कुमार की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है।

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