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वाराणसी

Mahashivratri 2023 : श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन को लगी श्रद्धा-भक्ती की कतार, हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठी काशी

वाराणसी। महादेव की नगरी काशी में महाशिवरात्रि पर बेहद अलग ही नजारा देखने को मिलता है। महाशिवरात्रि का उल्लास पूर्व संध्या से ही छलक उठा। बाबा के दर्शन को शुक्रवार रात 8 बजे से ही कतार लग गई। भोर तक भक्तों की लाइन मैदागिन तक पहुंच गई। हर हर महादेव के जयघोष से महादेव की नगरी गुंजयमान रही। बाबा के दर्शन को भक्तों में गजब का उत्साह देखने को मिला। मंगला आरती के बाद तीन बजे मंदिर का पट भक्तों के लिए खोल दिया गया।

बाबा के दर्शन पूजन का होगा लाइव प्रसारण
मंदिर प्रशासन की माने तो पिछले साल जहां पांच लाख से अधिक शिवभ्कों ने शिवरात्रि पर बाबा के दरबार में हाजिरी लगाई थई। वहीं इस बार यह आंकड़ा दुगाना होने की संभावना है। बाबा विश्वनाथ के दर्शन पूजन का सीधा प्रसारण का इंतजाम किया गया है। इसके लिए मंदिर चौक व प्रवेश द्वार पर LED स्क्रीन पर गर्भगृह से बाबा विश्वनाथके लाइव दर्शन होंगे।

अलग अलग गेट से निकास की व्यवस्था
मंदिर प्रशासन की ओर से दर्शनार्थियों की सुविधा व सुगम दर्शन के लिए मंदिर चौक में जिग जैग की कतार में मंदिर परिसर पहुंचेंगे। गोदौलिया से मैदागिन तक जगह जगह स्टील की बैरिकेडिंग की गई है। द्वार संख्या एक ढुंढिराज और ज्ञानवापी गेट से आने वाले श्रद्धालुओं के निकास का अलग अलग इंतजाम किया गया है। ढुंढिराज गेट वाले श्रद्धालुओं को ज्ञानवापी मार्ग से और ज्ञानवापी गेट वाले भक्तों को कचौड़ी गली की तरफ से बाहर निकाला जा रहा है।

वहीं सरस्वती फाट से प्रवेश वाले उसी रास्ते से वापस होंगे और गंगा द्वार से आने वाले भक्त भी उसी रास्ते से बाहर निकल रहे हैं। काशी विश्वनाध धाम के अलवा, शहर के मृत्युंजय महादेव मंदिर, तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर, जागेश्वर महादेव मंदिर, केदार घाट पर स्थित केदार मंदिर में भी भक्तों का हुजुम उमड़ पड़ा है।

महाशिवरात्रि पर पूजा विधि
शास्त्रों में बताया गया है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा चार पहर में की जाती है। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। कोई भक्त पहर के हिसाब से शिवजी की पूजा करना चाहते हैं तो शिवलिंग स्नान केलिए रात्रि के प्रथम प्रहर में गाय के दूध, दूसरे पहर में दही, तीसरे पहर में घी और चौथे पहर में शहद से स्नान कराने के बाद षोड्शोपचार पूजन का विधान है।

शुभ तिथि
फागुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि शुक्रवार की रात 8.05 बजे लग गई जो शनिवार शाम 5.43 बजे तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी लग जाएगी और बाबा का विवाहोत्सव मनाया जाएगा।

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