
चंदौली। जनपद में अब ट्रैक्टर के साथ-साथ उसकी ट्रालियों और ट्रेलरों का पंजीकरण भी अनिवार्य कर दिया गया है। प्रत्येक ट्राली और ट्रेलर पर चार अंकों का पंजीकरण नंबर और 17 अंकों का चेसिस नंबर दर्ज किया जाएगा। इससे ट्राली और ट्रेलर के मालिकों की पहचान और पता लगाना आसान हो जाएगा। यह कदम अवैध और गैर-मानक ट्रैक्टर-ट्रालियों के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है।
प्रदेश सरकार ने ट्रैक्टर, ट्राली और ट्रेलर के पंजीकरण और निर्माण में सड़क सुरक्षा मानकों को शामिल करते हुए नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू की है। ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (एआईएस) 112 के तहत कृषि कार्य के लिए चार प्रकार के ट्रेलरों के मानक तय किए गए हैं: आर-1, आर-2, आर-3 और आर-4। इनमें आर-2, आर-3, और आर-4 मॉडलों का पंजीकरण कृषि ट्रेलर के रूप में किया जाएगा।
हर ट्राली में अब कम से कम दो एक्सल होंगे। आर-2 और आर-3 मॉडलों में चार टायर होंगे, जबकि आर-4 मॉडल में आठ टायर होंगे। आर-2 मॉडल की अधिकतम चौड़ाई दो मीटर, जबकि आर-3 और आर-4 मॉडलों की 2.5 मीटर होगी। ट्रेलर की अधिकतम ऊंचाई 2.2 मीटर तक होगी। लंबाई के मामले में आर-2 की अधिकतम लंबाई चार मीटर, आर-3 की पांच मीटर और आर-4 की 6.7 मीटर होगी। आर-2 ट्राली का सकल वाहन भार (जीवीडब्ल्यू) छह टन तक, आर-3 का 9.3 टन और आर-4 का 12.56 टन तक होगा।
सुरक्षा मानकों के तहत स्थानीय निर्मित ट्रेलरों में रियर और साइड अंडर प्रोटेक्शन डिवाइस, बैक लाइट, रिफ्लेक्टिव टेप और कंटूर मार्किंग जैसे उपकरण लगाए जाएंगे। सभी प्रावधानों को पूरा करने वाले निर्माताओं को परिवहन विभाग से चार अंकों का निर्माता कोड लेना होगा, जिसमें पहला अक्षर अंग्रेजी वर्णमाला और शेष तीन अंक होंगे। ट्रेलर पर 17 अंकों की चेसिस संख्या भी दर्ज की जाएगी।