चंदौली। स्कूलों में संचालित एमडीएम योजना का नाम बदलकर अब पीएम पोषण योजना कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने गरीबों बच्चों को पोषण में सुधार को लेकर यह बदलाव किया है। हालांकि मिन्यू में एमडीएम में दिया जाने वाला आहार ही बच्चों को मिलेगा। नाम परिवर्तन से योजना के प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन की उम्मीज जगी है। इससे शासन की मंशा फलीभूत होगी। वहीं गरीब बच्चों को भी स्कूलों में ताजा व पौष्टिक आहार मिलेगा।
केंद्र सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को ताजा व पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए एमडीएम (मिड-डे-मील) योजना शुरू की थी। परिषदीय व इंटर कालेज में भोजन पकाकर कक्षा आठ तक के बच्चों को वितरित किया जाता है। दोपहर के वक्त मिन्यू के अनुसार भोजन बच्चों को दिया जाता है। हालांकि योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता व गुणवत्ता का अभाव था। ऐसे में सरकार ने अब इसका नाम बदलकर पीएम पोषण योजना कर दिया है। माना जा रहा है कि पोषण से संबंधित नाम रखकर सरकार ने संदेश देने का काम किया है। इससे गरीब बच्चों को शुद्ध व पौष्टिक आहार मिलेगा। शासन स्तर से योजना की सही ढंग से मानीटरिंग भी की जाएगी। इससे योजना में लापरवाही बरतने वालों पर शिकंजा कस गया है। बीएसए सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि एमडीएम का नाम बदलकर पीएम पोषण योजना कर दिया गया है। स्कूलों में बच्चों को गर्म व पका हुआ खाना खिलाया जाता है। योजना की निगरानी की जा रही है।
जिले के एक हजार स्कूलों में दो लाख बच्चे पंजीकृत
जिले के एक हजार से अधिक परिषदीय स्कूलों में दो लाख से अधिक बच्चे पंजीकृत हैं। उन्हें भोजन पकाने के लिए स्कूलों में रसोइयों की नियुक्ति की गई है। रसोइयां विद्यालय अवधि में भोजन पकाकर बच्चों को खिलाती हैं। ग्राम पंचायत व प्रधानाध्यापक की ओर से एमडीएम के लिए रसद, साग-सब्जी व ईंधन की व्यवस्था की जाती है। हालांकि कई गांवों में ग्राम प्रधानों की आनाकानी की वजह से एमडीएम बनाने का काम ठप हो जाता है। नई पहल से इन सभी दुश्वारियों से छुटकारा मिलने की उम्मीद है।