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Chandauli News : प्रदूषण को लेकर प्रशासन अलर्ट, पराली जलाने पर होगी सख्त कार्रवाई, भरना होगा जुर्माना

चंदौली। पराली (धान की पुआल) और अन्य कृषि अपशिष्टों को जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। उप कृषि निदेशक भीमसेन ने जानकारी दी कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, स्ट्रा रीपर, स्ट्रा रेक, और बेलर जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग अनिवार्य किया गया है।

 

उन्होंने कहा कि बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के हार्वेस्टर मशीनों का उपयोग करने वाले चालकों और पराली जलाने वाले किसानों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। पराली जलाने पर 2 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए ₹5000, 2-5 एकड़ के लिए ₹10,000, और 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए ₹30,000 तक पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क वसूला जाएगा।

 

सचल दस्तों की तैनाती
पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी और रोकथाम के लिए जनपद स्तर पर अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में और तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सचल दस्ते गठित किए गए हैं। इन दस्तों के साथ कृषि विभाग के कर्मचारी और राजस्व विभाग के लेखपाल भी शामिल हैं।

 

जैविक खाद और उपकरणों का वितरण
किसानों को पराली न जलाने और इसे जैविक खाद में परिवर्तित करने के लिए 5000 वेस्ट डिकंपोजर का वितरण किया जा रहा है। किसान ब्लॉक स्तरीय बीज गोदाम से ये डिकंपोजर प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कृषि उपकरणों पर व्यक्तिगत किसानों के लिए 50% तक अनुदान और कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने पर 80% तक अनुदान दिया जा रहा है।

 

सख्त चेतावनी
जिला प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि वे पराली जलाने से बचें और आधुनिक कृषि उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करें। पर्यावरण संरक्षण और फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह अभियान पर्यावरण संरक्षण और सतत कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है।

 

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