
चंदौली। पुलिस तस्करी जिले के लिए पुराना कोढ़ रहा है। बॉर्डर से सटा जनपद होने के चलते पशु और शराब तस्करी पूरे साल चलती रहती है। कुछ भ्रष्ट पुलिसकर्मी और सफेदपोश इसी आपदा को अवसर के रूप में भुनाते रहते हैं। पशु तस्करी रोकने के पुलिस के दावे अब तक फेल साबित हुए हैं। बलुआ थाना क्षेत्र की घटना पुलिस और तस्करों के गठजोड़ का जीता जागता सबूत है। दुखद यह कि ऐसे संवेदनशील मामलों में चंदौली के पुलिस कप्तान भी मीडिया से सीधे बात करने और बयान देने से कतराने लगे हैं।
बलुआ क्षेत्र में गोवंश लदे पिकअप ने शुक्रवार की भोर में साइकिल सवार की जान ले ली। हालांकि पुलिस इस मामले को रफा दफा कर देती लेकिन भागाने के चक्कर में पिकअप एक दुकान में घुस गई और तस्कर वाहन छोड़ फरार हो गए। पुलिस के पास अपनी नाकामी स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। घटना से एक बात और साफ हो गई है कि पुलिस कप्तान चाहे लाख जतन कर लें पशु तस्करी रुकने वाली नहीं है। शायद यही वजह है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में चंदौली एसपी मीडिया से सीधे बात करने से बच रहे हैं। उन्हें फोन करने पर पीआरओ अधीनस्थों से बात करने की सलाह दे रहे हैं। लब्बोलुआब यह कि पुलिस की इस लापरवाही का नतीजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है । सरकार की मंशा को पलीता लग रहा सो अलग।