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जब-जब ट्रंप बोले ‘डिस्प्यूट’, तब-तब बाजार बोला ‘पैसा ही पैसा’, एक रणनीति या संयोग? एक विवेचनात्मक विश्लेषण

डोनाल्ड ट्रंप का नाम सुनते ही आज की दुनिया दो भागों में बंट जाती है। एक जो उन्हें पसंद करता है और दूसरा जो उन्हें गलत मानता है। लेकिन इन दोनों के बीच एक तीसरी दुनिया भी है, बाजार की दुनिया, जो न तो ट्रंप को पूरी तरह नकारती है और न ही आँख मूंदकर स्वीकारती है। वह केवल रिएक्ट करती है। और यही रिएक्शन इस लेख का विषय है। शेयर मार्केट के एक्सपर्ट और Founder, Daddy’s International School & LTP Calculator Financial Technology Pvt. Ltd. डॉ. विनय प्रकाश तिवारी ने सलाह दी है।

 

 

पैटर्न क्या कहता है?

 

जब से ट्रंप पहली बार 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तब से लेकर आज (2025) तक, एक खास आर्थिक चक्र बार-बार दोहराया गया है:

  1. ट्रंप कोई विवादास्पद या आक्रामक बयान देते हैं
  2. बाजार में भारी गिरावट आती है
  3. स्मार्ट निवेशक इस गिरावट में निवेश करते हैं
  4. अचानक ट्रंप या अमेरिका विवाद से पीछे हटते हैं
  5. बाजार ऊंची छलांग लगाता है
  6. और फिर वही चक्र दोहराया जाता है…

 

 

तथ्यों के साथ: कुछ अहम उदाहरण

 

  1. 2018: ट्रंप बनाम चीन – पहला Reciprocal Tariff War
  • मार्च 2018: ट्रंप ने चीन के ऊपर भारी शुल्क लगाने का ऐलान किया — “Reciprocal Tariff Policy”।
  • परिणाम: Dow Jones और Nasdaq में 1000-1500 पॉइंट की गिरावट।
  • अप्रैल 2018: चीन ने भी काउंटर टैक्स लगाया।
  • जून 2018: बातचीत की बात सामने आते ही बाजार नई ऊँचाई पर।
  • निष्कर्ष: डिस्प्यूट से डराया, फॉल आया, इन्वेस्ट हुआ, फिर बातचीत से बूम।

 

  1. 2020: ईरान टेंशन – कासिम सुलेमानी की हत्या
  • जनवरी 2020: अमेरिका ने ईरान के टॉप जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराया।
  • बाजार: गोल्ड बढ़ा, क्रूड बढ़ा, बाजार गिरा।
  • जनवरी के दूसरे सप्ताह: ट्रंप ने बयान दिया “हम युद्ध नहीं चाहते” – बाजार रिकवर हो गया।

 

  1. 2023: ट्रंप की वापसी की घोषणा
  • नवंबर 2023: ट्रंप ने 2024 चुनाव के लिए उम्मीदवारी घोषित की।
  • उनकी टैरिफ नीति को फिर से लागू करने की बात – NASDAQ गिरा।
  • लेकिन फिर बोले – “India is a good partner” – बाजार ने राहत की सांस ली।

 

  1. 2025: नई China-America Trade War – Reciprocal Tariff 2.0
  • मार्च 2025: ट्रंप सरकार ने चीन से आने वाले $400 अरब के सामान पर नया टैरिफ लागू किया।
  • ट्रंप बोले: “अब व्यापार बराबरी से होगा, अमेरिका को अब घाटा मंज़ूर नहीं।”
  • चीन की प्रतिक्रिया:
  • 30 मार्च 2025: चीन ने अमेरिका के iPhones, सोया, और टेक्नोलॉजी पर काउंटर टैरिफ लगाया।
  • अप्रैल 2025: Apple और Tesla जैसे शेयर 4-6% तक गिरे। Nasdaq और Dow Jones में 800-1200 अंकों की गिरावट।
  • 3 मई 2025: ट्रंप बोले – “We’re ready to talk. China should not be our enemy.”
  • बाजार में उछाल, tech stocks rebound।

 

निष्कर्ष:

डराया, गिराया, फिर बयानबाज़ी में नरमी और… पैसा ही पैसा।

 

  1. 2025: India-Pakistan तनाव (वर्तमान)
  • 22 अप्रैल 2025: कश्मीर में बड़ा आतंकी हमला। भारत-पाक तनाव चरम पर।
  • 24-25 अप्रैल: इंडिया ने जवाबी कार्रवाई की – पाकिस्तान में ड्रोन स्ट्राइक।
  • अमेरिका, EU, रूस भारत के समर्थन में आए
  • चीन तटस्थ रहा – पाकिस्तान को कोई खुला समर्थन नहीं मिला
  • बाजार में गिरावट शुरू हुई – निवेशकों को घबराहट हुई
  • फिर…

 

* बाजार गिरा, फिर उछला – निवेशकों को कमाई का सुनहरा मौका मिला। अब ट्रंप का बयान आ गया है सीज़फायर का – यानी बाजार के पास फिर से उछलने का मौका है, और निवेशकों के लिए फिर से ‘पैसा ही पैसा’ का सीज़न शुरू हो चुका है!

 

 

क्या ये संयोग है या रणनीति?

डोनाल्ड ट्रंप की छवि एक ट्रेडिंग पॉलिटिशियन की बन चुकी है – बोलते हैं, गिराते हैं, चुप होते हैं, उठाते हैं। यह एक सुनियोजित तरीके से बाजार में वोलैटिलिटी पैदा करने जैसा लगता है – जहां आम निवेशक डर जाए और स्मार्ट मनी खेल करे।

 

 

निवेशक के लिए सबक:

  1. डरिए मत, ट्रंप बोलें तो सतर्क हो जाइए।
  2. हर गिरावट एक सुनहरा मौका हो सकती है।
  3. समझिए कि बयानबाज़ी और नीति में अंतर होता है।
  4. कभी-कभी बाजार की चाल नेता से तेज़ होती है – लेकिन ट्रंप को पकड़ना मुश्किल नहीं।

 

 

 

आज जब 2025 में ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति हैं, और दुनिया उन्हें “Dispute Generator” समझती है, तो समझ लीजिए – हर विवाद का अंत ‘पैसा ही पैसा’ से हो सकता है – अगर आप सही समय पर सही निर्णय लें।

 

 

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