
जय तिवारी की रिपोर्ट
चंदौली। मुगलसराय रेलवे के वैगन केयर सेंटर और डाउन रिसीव यार्ड में सफाई के नाम पर बड़े पैमाने पर रेलवे के स्क्रैप लोहे की चोरी का मामला सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि कोलकाता की रिलायबल कंक्रीट कंपनी को इन दोनों यार्डों में सफाई और कूड़ा-कचरा हटाने का ठेका मिला है, लेकिन ठेकेदार द्वारा सफाई के नाम पर रेल संपत्ति को ही चूना लगाया जा रहा है। रेलवे का लोहा कबाड़ में बेचा जा रहा है।
कंपनी को दो साल का टेंडर मिला हुआ है, जिसमें उसे सफाई के साथ-साथ पुराने स्क्रैप को निर्धारित जगहों तक पहुंचाना था। मगर हकीकत यह है कि सफाई कार्य पूरी तरह से नदारद है और कर्मचारी दिन-रात सिर्फ रेलवे के स्क्रैप लोहे की चोरी में लगे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, यह पूरा खेल मंडल यांत्रिक अभियंता (डीएमई) के अधीन संचालित विभाग में हो रहा है, जहां अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में रेलवे की सुरक्षा एजेंसी आरपीएफ की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि आरपीएफ की निगरानी में ही स्क्रैप लोहा बाहर ले जाया जाता है।
वास्तविकता यह है कि कूड़े के नाम पर प्रतिदिन हजारों-लाखों रुपये का रेलवे लोहा गायब हो रहा है, जिससे रेलवे को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। अगर समय रहते इस चोरी पर रोक नहीं लगी तो आने वाले दिनों में यह भ्रष्टाचार और भी बड़ा रूप ले सकता है। रेलवे प्रशासन को मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि सरकारी संपत्ति की रक्षा हो सके और भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके।