चंदौली। एक बात तो तकरीबन साफ हो चुकी है कि गरीबों के लिए न्याय पाना आसान नहीं है। अलीनगर क्षेत्र के तलपरा की रहने वाली मधु बिंद पिछले दो साल से अपनी जमीन से कब्जा हटवाने के लिए अधिकारी कार्यालयों के चक्कर काट रही थी। डीएम से लेकर एसडीएम तक 50 से अधिक प्रार्थना पत्र दिए। अधिकारी हर बाद अपने अपने मातहतों को जांच के लिए लिख देते थे। लेकिन जांच हुई या नहीं इसकी जांच करने की जहमत नहीं उठाई। दूर-दूर तक न्याय की कोई उम्मीद नजर नहीं आई तब मधु ने वह कदम उठाया जिसकी इजाजत कानून भी नहीं देता। अधिकारियों को लगा कि अब तो नौकरी पर संकट आ सकता है तो आनन-फानन में दो वर्षों का लंबित काम दो घंटे में करा दिया गया। चंदौली डीएम ने भी स्वीकर किया कि इस मामले में नीचे के कर्मचारियों ने गलती की है। एसडीएम को जांच सौंप दी। लेकिन एसडीएम तो खुद भी आरोपों के घेरे में हैं ऐसे में जिलाधिकारी के इस फैसले पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पट्टे की जमीन पर अवैध कब्जा और पक्का निर्माण कर रास्ता अवरुद्ध किए जाने से नाराज 35 वर्षीय महिला मधु बिंद ने मुगलसराय तहसील कार्यालय में जिलाधिकारी के सामने ही खुद पर डीजल उढ़ेल कर आत्मदाह की कोशिश की। दरअसल मधु पिछले दो वर्षों से न्याय के लिए अधिकारी कार्यालयों का चक्कर काट रही थी। डीएम, एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार तक उसका शिकायती प्रार्थना पत्र पहुंचा लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। महिला का आरोप है कि विरेंद्र यादव लेखपाल ने विपक्षी से पैसे खाकर उसकी जमीन पर कब्जा करवा दिया था और दावा भी किया था कि कितना भी जोर लगा लो लेकिन कुछ होने वाला नहीं है। नायब तहसीलदार भी घुड़की देकर भगा देते थे। पूरे कुएं में भांग पड़ी हुई थी तो एसडीएम साहब भी मामले की सुनवाई नहीं कर रहे थे और प्रार्थना पत्र पर चिड़िया बैठाकर एक किनारे रख देते थे। महिला का यह भी आरोप है कि इसमें सबकी मिलीभगत थी। महिला की आत्मदाह की कोशिश के बाद जब हड़कंप मचा तब डीएम ने पूर्व में पड़े शिकायती पत्रों की जांच करवाई। कई प्रार्थना पत्र पड़े थे जिसपर डीएम और एसडीएम के हस्ताक्षर भी थे। अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसे कितने ही मामले होंगे जो अधिकारियों के निर्देश के बाद भी हल नहीं होते होंगे। बहरहाल डीएम साहब ने एसडीएम मुगलसराय को जांच सौंप दी है। अब एसडीएम अपने ही मातहतों कि किस तरह की जांच करेंगे यह बड़ा सवाल है।