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आजमगढ़। लोकप्रिय टीवी धारावाहिक बालिका वधु तो याद होगा। वर्षों तक टीवी पर देखा और पसंद किया गया। इससे जुड़े कलाकार आज काफी मशहूर हैं और मायानगरी की चकाचाौंक का हिस्सा हैं। लेकिन इसी सीरियल का निर्देशक आज गुमनामी और आर्थिक तंगी के बीच जीवन यापन कर रहा है। परिवार के भरण-पोषण लिए आजमगढ़ में ठेले पर सब्जी बेच रहा है। जीवटता ऐसी कि अपने काम से कोई गिला शिकवा नहीं। मुंबई जाने से पहले भी यही करते थे, आज जब परिवार को जरूरत हुई तो दोबारा धंधे को अपना लिया। बात आजमगढ़ निवासी रामवृक्ष गौड़ की जो बालिका वधु, सुजाता और कुछ तो लोग कहेंगे जैसे धारावाहिकों का निर्देशन कर चुके हैं।
लाकडाउन में फंसे और यहीं रह गए
रामवृक्ष बताते हैं कि एक फिल्म के सिलसिले में आजमगढ़ आया था। लॉकडाउन की घोषणा हुई और फिर वापस लौटना संभव नहीं हो पाया। जिस प्रोजेक्ट पर हम काम कर रहे थे, उसे रोक दिया गया और निर्माता ने कहा कि काम पर वापसी में एक साल या उससे अधिक समय लग सकता है। एक दो महीने तक हालात सामान्य होने का इंतजार करते रहे। स्थिति नहीं सुधरी तो पेट पालने के लिए बेटे के साथ ठेले पर सब्जी बेच रहे हैं। रामवृक्ष वैसे तो पूरी तरह मुंबई को अपना चुके हैं लेकिन आजमगढ़ में उनका पुस्तैनी घर हैं। मुंबई के अपने सफर के बारे में बात करते हुए कहा, अपने दोस्त और लेखक शाहनवाज खान की मदद से 2002 में मुंबई गया था। रामवृक्ष ने यशपाल शर्मा, मिलिंद गुनाजी, राजपाल यादव, रणदीप हुड्डा, सुनील शेट्टी की फिल्मों के निर्देशकों के साथ एक सहायक निर्देशक के रूप में काम किया है। बालिका वधु के अलावा इस प्यार को क्या नाम दूं, हमार सौतन हमार सहेली, जूनियर जी आदि कई धारावाहिकों का हिस्सा रहे हैं। रामवृक्ष आशांवित हैं कि जैसे ही सब ठीक होगा अपनी दुनियां में लौट जाएंगे।