- लोकसभा चुनाव में भी राजद गठबंधन ने फिर बिंद प्रत्याशी को दिया टिकट जातियों के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए राजनीतिक दल चल रहे अपनी चाल पूर्वांचल के बाहुबली विजय मिश्रा को हराकर निषाद पार्टी ने मजबूत की पकड़
- लोकसभा चुनाव में भी राजग गठबंधन ने फिर बिंद प्रत्याशी को दिया टिकट
- जातियों के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए राजनीतिक दल चल रहे अपनी चाल
- पूर्वांचल के बाहुबली विजय मिश्रा को हराकर निषाद पार्टी ने मजबूत की पकड़
भदोही से जय तिवारी की विशेष रिपोर्ट
लोकसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। भदोही लोकसभा सीट पर जातियों की गणित दिलचस्प हो गई है। इस सीट पर बिंद बिरादरी का दबदबा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। बिंद, निषाद और मल्लाह जैसी पिछड़ी जातियों के समर्थन के बूते लोकसभा तक पहुंचने के लिए राजनीतिक दल अपनी-अपनी चाल चल रहे हैं। राजग गठबंधन ने एक बार फिर बिंद प्रत्याशी पर भरोसा जताया है। सांसद रमेश बिंद का टिकट काटकर उनके स्थान पर मिर्जापुर के मझवां से विधायक रहे डा. विनोद बिंद को उम्मीदवार बनाया है। डा. विनोद बिंद मतदाताओं को अपने पाले में लाने में जी-जान से जुट गए हैं। कार्यकर्ताओं की टीम के साथ लगातार क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे हैं। गठबंधन को उम्मीद है इस बार भी जातिगत समीकरण को भेदने में यह दांव सटीक बैठेगा। हालांकि यह तो वक्त ही बताएगा कि मतदाता किस पर भरोसा जताते हैं।
निषाद पार्टी की राजनीतिक हैसियत बढ़ी
भदोही बिंद, निषाद और मल्लाह जैसी पिछड़ी जाति की राजनैतिक अहमियत बढ़ी है। भाजपा सपा और बसपा इन जातियों को अपने पाले में करने के लिए तरह-तरह के जतन कर रही हैं। यह सीट एक बार फिर निषाद पार्टी के खाते में चली गई है। यह दीगर बात है कि चुनाव कमल के निशान पर ही लड़ा जाएगा। भदोही की सियासत में हाल के दिनों में निषाद पार्टी की हैसियत काफी बढ़ी है। साल 2022 के राज्य विधानसभा चुनाव में जब से ज्ञानपुर से चार बार के विधायक बाहुबलीपुर विजय मिश्र को निषाद पार्टी ने हराया तभी से निषाद पार्टी की अहमियत महत्वपूर्ण हो गई। विधानसभा के चुनाव में निषाद पार्टी ने ज्ञानपुर से विपुल दुबे को टिकट दिया था। उन्होंने विजय मिश्र को पराजित किया। विजय मिश्र के लिए यह सीट अजेय मानी जाती थी।
सफल रहा मुलायम सिंह का दांव
ज्ञानपुर, हंडिया और प्रतापपुर में बिंद जाति की बहुलता है जिसका सीधा लाभ निषाद पार्टी को मिला और विपुल दुबे की जीत हुई। 2024 में एक बार फिर यह प्रयोग दोहराया जा रहा है। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रमेश बिंद विजयी रहे। भदोही में राजनीतिक लिहाज से बिंद, निषाद और मल्लाह जैसी जातियां निर्णायक और अहम स्थान रखती हैं। यही कारण है कि भाजपा और समाजवादी जैसी पार्टियों को इस जाति से आने वाले उम्मीदवार बेहद पसंद हैं। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव ने 1996 में पहली बार इस जाति पर सियासी दांव लगाया था। उन्होंने बिहड़ों की रानी दस्यु सुंदरी फूलन देवी को मिर्जापुर – भदोही लोकसभा सीट से टिकट देकर भदोही-मिर्जापुर की सियासत में पहली बार बिंद, मल्लाह और निषाद जाति पर प्रयोग किया। मुलायम सिंह यादव का यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा।
फूलन देवी दो बार रहीं सांसद
फूलन देवी भदोही लोकसभा से दो बार सांसद निर्वाचित हुईं। वह 1996 से 1998 और 1999 से 2001 तक सांसद रही। फूलन देवी की हत्या के बाद मुलायम सिंह यादव ने फिर मिर्जापुर – भदोही लोकसभा क्षेत्र से रामरति बिंद को चुनावी मैदान में उतारा और उनकी नीति सफल रही रामरति बिंद यहां से उपचुनाव में सांसद चुने गए और फूलन देवी के बाकि बचे कार्यकाल लोकसभा 2024 में भाजपा ने एक बार फिर बिंद जाति के उम्मीदवार को ही चुनावी मैदान में उतारा है। क्योंकि, अब तक चाहे समाजवादी पार्टी रही हो या भारतीय जनता पार्टी बिंद पर लगाया गया दांव पूरी तरह से सफल रहा है।