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यहां तो जानवर भी ना रहें, जहां रह रही विधवा मीरा

वाराणसी। तस्वीर आप को विचलित कर देगी। लेकिन विधवा मीरा की यही नियति है। मुम्बई में पति की मौत के बाद अपने घर लौटी विधवा मीरा देवी को आस थी कि गांव में उसका और उसके बच्चों का भरण पोषण आसानी से हो जाएगा। लेकिन यहां दिनोंदिन उसकी आस दम तोड़ती जा रही है। जी हां विकास खंड बड़ागांव के हाईवे से सटे गांव सिसवां बाबतपुर की मौर्य बस्ती की रहने वाली विधवा मीरा देवी दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ दाने-दाने को मोहताज है। उसके पास न रहने का अपना कोई समुचित निवास है और ना ही आय का कोई साधन। और तो और तमाम प्रयास के बावजूद किसी प्रकार की सरकारी सुविधा भी उस तक पहुंचने से ठिठक गई है।
सिसवां गांव की मीरा देवी के पास अपनी एक इंच भी जमीन नहीं है। टीन शेड लगाकर जहां वह बच्चों के साथ रह रही है वहां जानवर का भी रहना कठिन है। लेकिन वह जाय तो जाय कहां। उसे तो आज तक सरकारी आवास भी नहीं मिला। शौचालय तो दूर की बात है। मीरा का पति मुम्बई मे बढ़ई गिरी का कार्य करता था जहां उसकी मौत हो गई। मायानगरी में पति को खोने के बाद गांव लौटी मीरा देवी अपने बच्चों की परवरिस को लेकर खासा चिंतित हैं। उन्होंने बताया कि मैं कई बार प्रधान जी के पास गई लेकिन हर बार यही कहकर टाल देतें है कि आवास अभी नहीं आया है आने पर मिलेगा। हालांकि गांव के समाजसेवी संजय दुबे ने शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए महिला को सरकारी सुविधा दिलाने की मांग की। लेकिन उनका भी प्रयास ढाक के तीन पात ही साबति हो रहा है। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत अधिकारी को जब इस संदर्भ में फोन किया तो उन्होंने रिसीव ही नहीं किया।

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