
चंदौली। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम क्षेत्र के माटीगांव में उत्खनन करा रही है। शनिवार को जमीन के नीचे उत्तरी काली चमकीली मृदभांड परंपरा के पात्र प्राप्त हुए। वहीं 1.25 मीटर मोटी फर्श प्राप्त हुई। माना जा रहा कि यह किसी प्राचीन मंदिर का भाग रहा होगा। मृदभांड की डेटिंग लगभग तीन हजार साल पुरानी आंकी गई है। रविवार को बीएचयू के प्रोफेसर व छात्रों का दल उत्खनन स्थल का दौरा करेगा।
माटीगांव में जमीन के नीचे प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिल चुके हैं। बीएचयू की टीम यहां खोदाई का कार्य करा रही है। पिछले दिनों उत्खनन में कुषाणकालीन भवन की फर्श व ईंटे मिली थीं। पहले ही भगवान विष्णु की खंडित प्रतिमा व प्राचीन मंदिर का ढांचा भी मिल चुका है। पुरातत्व विशेषज्ञों ने इसके लगभग दो से ढाई हजार प्राचीन होने का अनुमान लगाया था। जैसे-जैसे उत्खनन कार्य आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे प्राचीन सभ्यताओं के साक्ष्य जमीन से बाहर आ रहे हैं। पुरातत्व विशेषज्ञों की मानें तो माटी गांव में दो हजार साल पहले मानव सभ्यता फल-फूल रही थी। प्रचंड बाढ़ की वजह से सभ्यता नष्ट हुई होगी। उत्खनन में इसके साक्ष्य भी मिले हैं। रविवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पुरातत्व के प्रोफेसर व छात्रों का दल उत्खनन स्थल आकर पड़ताल करेगा। बीएचयू कला संकाय प्रमुख प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह, प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति व पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर दिनेश कुमार ओझा, डाक्टर अर्चना शर्मा, डाक्टर अर्पिता चटर्जी, डाक्टर अभय कुमार, डाक्टर अशोक कुमार व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ओंकारनाथ सिंह उत्खनन स्थल का अवलोकन करेंगे। पुरातत्व के प्रशिक्षण हेतु विभाग के स्नाकोत्तर छात्र-छात्रों का दल भी रहेगा। उत्खनन दल में पुरातात्त्विक दल में निदेशक डाक्टर विनय कुमार, शोध छात्र परमदीप पटेल, राघव साहनी, सर्वेयर शिवशंकर प्रजापति, फोटोग्राफर बरुण सिन्हा आदि रहे।