रिपोर्टः खुशी सोनी
वाराणसी। महज 17 वर्ष की उम्र में नचिकेता ने जान क्यों दे दी यह सवाल अब रहस्य बन गया है। परिवार के लोग इसके लिए उसके स्कूल की शिक्षिका को जिम्मेदार मान रहे हैं। 20 जनवरी का वह दिन जब वाराणसी के दौलतपुर निवासी अधिवक्ता चेग्वेवारा रघुवंशी के इकलौते पुत्र नचिकेता उर्फ सोनू ने आत्मघाती कदम उठाया था उसके पहले उसकी शिक्षिका का तीन बार फोन आया था। शिक्षिका ने ऐसा क्या कहा जिससे सोनू आत्महत्या को विवश हो गया इस रहस्य से पर्दा उठाने, मृतक को न्याय दिलाने और किसी मासूम छात्र के साथ ऐसी अप्रिय घटना घटित न होने पाए इसके लिए अधिवक्ता समाज 12 फरवरी को आजाद पार्क लहुराबीर से शाम साढ़े पांच बजे कैंडल मार्च निकालेगा।
अधिवक्ता चेग्वेवारा रघुवंशी बताते हैं कि उनके पुत्र नचिकेता के साथ पढ़ने वाली छात्रा सुमन ने बीते 19 जनवरी को अपने हाथ की नस काट ली। घटना के अगले दिन उनके पुत्र के मोबाइल पर स्कूल की शिक्षिका का फोन आया। उसके नचिकेता को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए धमकी दी। आरोप लगाया कि नचिकेता ने सुमन के कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाने के साथ चाकू के हमला किया है, जिससे वह अस्पताल में भर्ती है। शिक्षिका के बात करने के तुरंत बाद ही नचिकेता ने आत्महत्या कर दी। वहीं इलाज के दौरान 24 जनवरी को सुमन की भी मौत हो गई। अधिवक्ता चेग्वेवारा रघुवंशी का कहना है कि यदि स्कूल प्रबंधन को इस संबंध में पहले से कोई जानकारी थी तो दोनों की बच्चों के अभिभावकों को तुरंत सूचित करना चाहिए था। यदि सुमन ने आत्मघाती कदम उठाया और शिक्षिका की नजर में दोषी नचिकेता था तब भी परिजनों को बताना चाहिए था। स्कूल प्रबंधन और शिक्षिका दो मासूमों की मौत के जिम्मेदार हैं। अधिवक्ता कैंडल मार्च निकालकर न्याय की मांग करेंगे और जब तक न्याय नहीं मिलता आंदोलन जारी रहेगा।