चंदौली। जिस रामकिशुन यादव को मृत मानकर परिजन 16 वर्ष पहले ही अंतिम संस्कार कर चुके थे वह 28 वर्ष बाद घर लौट आए। जी हां यह कहानी है मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के लेडुआपुर निवासी 65 वर्षीय रामकिशुन की, जो 28 वर्ष पहले रोजी रोटी की तलाश में घर से निकले तो वापस नहीं लौटे। परिवार के लोगों ने उनकी काफी तलाश की। अंत में 16 साल पहले परिजनों ने मृत मानकर अंतिम संस्कार कर दिया।
लेडुआपुर निवासी रामकिशुन 28 वर्ष पहले काम की तलाश में सोनभद्र के ओबरा पहुंचे। यहां पावर हाउस की कैंटीन में 25 सौ की नौकरी मिल गई। यहां कुछ महीने काम किया इसके बाद अचानक गायब हो गए। परिजनों के अनुसार वापस लौटने के बाद रामकिशुन ने बताया कि वे ओबरा से मुंबई चले गए। वहां कुछ दिन काम किया। वहां उनसे बंधुआ मजदूर के तौर पर काम लिया जाने लगा। उन्हें नशीली दवा दी जाती थी जिससे उनकी याद्दाश्त कमजोर होने लगी। किसी तरह वाराणसी आए तो यहां कुछ लोगों ने उन्हें पकड़कर खटाल पर रख लिया। इसके बाद बाबतपुर के एक होटल में लगा दिया गया। कुछ महीने पहले इन्हें लकवा मार गया और काम करने लायक नहीं रह गए तब होटल संचालक ने नाम पता बताने पर इन्हें घर छोड़ दिया और चले गए। उधर 28 वर्ष बाद रामकिशुन को देखकर परिवार के लोग हैरान रह गए। परिजन तो इन्हें मृत मानकर अंतिम संस्कार तक कर चुके थे। रामकिशुन की पत्नी जयमुर्ती ने बताया कि चार बेटियां है सबकी शादी हो चुकी है।