चंदौली। राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में शामिल रहे सकलडीहा निवासी कारसेवक गोपाल चौरसिया का भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देखने का सपना पूरा नहीं हो सका। हृदयगति रुकने से 58 वर्ष की आयु में उनकी मौत हो गई। उनके निधन के समाचार से संघ परिवार व सकलडीहा के व्यापारियों में शोक की लहर दौड़ गई।
पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवानी ने राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के लिए रथयात्रा निकाली थी। इससे पूरे देश में आंदोलन को धार मिली। देश भर से लोग अयोध्या पहुंचने लगे। सकलडीहा से भी कारसेवकों का जत्था अयोध्या के लिए रवाना हुआ था। उस दौरान पुलिस ने गोपाल चौरसिया समेत अन्य कारसेवकों को पकड़कर सेंट्रल जेल में बंद कर दिया था। 1992 नें विवादित ढांचा विध्वंस के समय गोपाल चौरसिया ट्रेन पकड़कर अयोध्या पहुंच गए थे। विहिप नेता अशोक सिंघल के नेतृत्व में अयोध्या पहुंचे कारसेवकों के जत्थे में गोपाल भी शामिल रहे।
कारसेवक गोपाल चौरसिया की तबीयत गुरुवार की शाम अचानक खराब हो गई। उन्हें आननफानन में अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। उनका सपना था कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के गवाह बनें। भव्य राम मंदिर में प्रभु श्रीराम के दर्शन करें लेकिन, उनका यह सपना अधूरा रह गया। उनके निधन पर कारसेवक पवन वर्मा, सत्यप्रकाश गुप्त, दशरथ चौहान समेत अन्य ने शोक व्यक्त किया।