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चंदौलीः पुलिस महकमे के लिए भस्मासुर बन गया था तस्करी में गिरफ्तार बर्खास्त सिपाही अनिल

चंदौली। पशु तस्करी में जेल भेजे गए पुलिस के बर्खास्त आरक्षी अनिल सिंह के कारनामों की फेहरिस्त काफी लंबी है। एक समय यह अपने ही महकमे के लिए भस्मासुर बन गया था। मुगलसराय थाने में नियुक्ति के दौरान चकिया तिराहे पर रात के अंधेरे में वाहनों से धन उगाही करते वीडियो वायरल होने के बाद अनिल चर्चा में आया। इसके बाद कई कारनामों को अंजाम देकर महकमे के अधिकारियों की आंख की किरकिरी बन बैठा था।

लंबी है कारनामों की लिस्ट
बर्खास्त दीवान अनिल सिंह ने कुछ माह पहले मुगलसराय पुलिस की अवैध वसूली लिस्ट वायरल कर महकमे में खलबली मचा दी थी। ऐसा लेटरबम फोड़ा जिसकी गूंज लखनऊ तक सुनाई दी। घटना से पुलिस के आलाधिकारी तक असहज हो गए। मामले की एसआईटी जांच तक बैठा दी गई। भ्रष्टाचार के छींटे तत्कालीन एसपी हेमंत कुटियाल और कोतवाली प्रभारी शिवानंद मिश्रा की वर्दी पर भी पड़े और दोनों अधिकारी नप गए। इसके पहले अनिल सिंह ने रेलवे चौकी प्रभारी रहे दारोगा जी का घूस लेते वीडियो वायरल कर दिया था। तब अनिल सिंह की तैनाती रेलवे चौकी अंतर्गत थी। बेचारे दारोगा को निलंबन झेलना पड़ा। हालांकि लंबी जांच प्रक्रिया के बाद उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया। कुछ माह पूर्व अनिल सिंह ने सदर कोतवाली में तैनात आरक्षी का आडियो वायरल कर दिया था। इसमें आरक्षी उसे आगाह कर रहा था कि पशु तस्करी में उसकी संलिप्तता की भनक पुलिस को लग गई है लिहाजा वह सावधान रहे। हालांकि इस आडियो को अनिल ने यह कहते हुए वायरल किया कि पुलिस उसे पशु तस्करी के मामले में फंसा सकती है। वर्ष 2012 में अनिल सिंह पर आरोप लगे कि वह हाईवे पर कांटा लगाकर ट्रकों को रोकता है और चालकों से वसूली करता है। पैसा नहीं देने पर मुकदमा दर्ज कराने की धमकी भी देता है। भ्रष्टाचार के एक के बाद एक कई आरोप लगने पर अंत में आरक्षी अनिल को महकमे से बर्खास्त कर दिया गया। बबुरी पुलिस द्वारा पशु तस्करी में पकड़े जाने के बाद अनिल सिंह का नाम एक बार फिर चर्चा में आया।

चंदौली में बैठकर चला रहा था गिरोह
बर्खास्त होने के बाद भी अनिल सिंह चंदौली में ही जमा था। बिहार बार्डर होने के चलते उसे पशु तस्करी के लिए इससे मुफीद स्थान नहीं मिल सकता था। पुलिस से संबंध होने के चलते वह तस्करी के खेल से पूरी तरह वाकिफ था। पुलिस की माने तो वह पूर्वांचल के बड़े-बड़े पशु तस्करों से जुड़ा था और गाड़ियों को बिहार बार्डर पास कराने में सहयोग करता था। वह पुलिस की गतिविधियों को तस्करों और उनके आकाओं तक पहुंचाता रहता था। सूत्रों की माने तो अभी भी कुछ पुलिसकर्मियों के अनिल सिंह से अच्छे संबंध हैं, जिनका वह बखूबी फायदा उठा रहा था। साथ ही वह महकमे की खूबियों और खामियों से भी अच्छी तरह से वाकिफ था।

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