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लखनऊ। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में आंदोलनरत प्रदेश भर के तकरीबन 15 लाख बिजली कर्मचारियों की बात शासन ने मान ली है। कई दौर की वार्ता विफल होने के बाद मंगलवार की शाम उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट सब कमेटी और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बीच चली लंबी वार्ता सफल रही। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने के लिखित समझौते के बाद बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल समाप्त करने का ऐलान कर दिया।
जानिए बैठक में क्या हुआ समझौता
शासन स्तर से गठित कमेटी में वित्त मंत्री सुरेंद्र खन्ना, ऊर्जा मंत्री, चीफ सेके्रटरी आरके तिवारी के साथ उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति पदाधिकारियों की बैठक हुई। इसमें पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण का प्रस्ताव वापस ले लिया गया। इसे अन्य संस्था को देने पर भी फिलहाल कोई विचार नहीं किया जाएगा। बिजली की व्यवस्था में जो भी सुधार किया जाएगा वह बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लेकर किया जाएगा। समिति ने सरकार का आश्वस्त किया कि सुधार के लिए रणनीति तैयार करें कर्मचारी पूरा सहयोग करेंगे। समिति के संयोजक शैलेंद्र दूबे ने बताया कि सरकार निजीकरण के प्रस्तावों पर अब कोई विचार नहीं करेगी। कर्मचारियों का किसी तरह से उत्पीड़न नहीं होगा। जो भी मुकदमें दर्ज किए गए हैं सभी वापस लिए जाएंगे। इस तरह बिजली उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है कि बिजली कटौती की समस्या से निजात मिलेगी। कर्मचारियों के काम पर वापस लौटने के साथ ही आपूर्ति की बाधाएं भी दूर हो जाएंगी। समिति के जिला संयोजक वाराणसी चंद्रशेखर चाौरसिया और सदस्य आरके वाही ने कर्मचारियों को बधाई दी है।