
पूर्वांचल टाइम्स EXCLUSIVE
चंदौली। मुगलसराय कोतवाली का थानेदार बनने का सपना जिले में आने वाला हर दारोगा और इंस्पेक्टर देखता है। सूबे में जिसकी सरकार बनी कोतवाली में उसी जाति का बोलबाला रहा। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद से अबतक मुगलसराय की थानेदारी या तो राजपूत या ब्राह्मण वर्ग के पुलिस अफसर ने संभाली। लेकिन छह साल बाद यह मिथक टूटा है। बीजेपी सरकार में पहली दफा मुगलसराय को कायस्थ वर्ग का कोतवाल मिला है। लोग इसे स्थानीय विधायक की जाति और हनक से भी जोड़कर देख रहे हैं।
जानिए बीजेपी सरकार में कौन-कौन रहा मुगलसराय का कोतवाल
2017 में सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद बीजेपी की सरकार बनी तो अजित कुमार मिश्र मुगलसराय के इंस्पेक्टर बने। इसके बाद तीन महीने के लिए अतुल नारायण सिंह के हाथ में थानेदारी आई। अगस्त 2017 से फरवरी 2018 तक एसपी सिंह कोतवाल की कुर्सी पर विराजमान रहे। तत्पश्चात ढाई वर्ष से भी अधिक समय तक शिवानंद मिश्रा ने कोतवाली की कमान संभाली। फिर एनएन सिंह की कोतवाली प्रभारी के तौर पर पोस्टिंग की गई। उनके ट्रांसफर के बाद राजीव रंजन उपाध्याय कोतवाली प्रभारी बनाए गए। इसके बाद संजीव कुमार मिश्रा दो माह के लिए प्रभारी बने। जबकि हाल ही में ब्रजेश चंद्र तिवारी को हटाकर संतोष श्रीवास्तव को मुगलसराय का नया कोतवाल बनाया गया है। इस तरह देखें तो छह वर्ष बाद मुगलसराय कोतवाली में ब्राह्मण, राजपूत के स्थान पर कायस्थ वर्ग से थानेदार बनाया गया है।
जानिए इस बदलाव के मायने
पुलिस महकमा भले ही सीधे तौर पर इस बात को स्वीकार न करे लेकिन विधान सभा के प्रमुख थानों पर थानेदार की पोस्टिंग में सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि की दखलअंदाजी रहती है। मुगलसराय में हुए बदलाव को भी इसी जातिगत समीकरण से जोड़कर देखा जा रहा है। वैसे कोतवाली की कमान पिछड़ा वर्ग से आने वाले इंस्पेक्टर को दी जा सकती थी। लेकिन कायस्थ वर्ग के इंस्पेक्टर की नियुक्ति नए सियासी घटनाक्रम की ओर इशारा कर रही है।