
चंदौली। 6 अगस्त की सुबह, जब भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) का निर्णय सामने आया, तो यह बिल्कुल स्पष्ट था कि इस बार न तो राहत दी गई, न ही कोई सख्ती दिखाई गई। रेपो रेट 5.50% पर स्थिर रखी गई। रिवर्स रेपो, SDF, MSF और बैंक रेट सभी दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। इसको लेकर Daddy’s International School Bishunpura Kanta Chandauli UP के फाउंडर डॉ विनय प्रकाश तिवारी ने राय दी।
उन्होंने बताया कि यह निर्णय केवल एक नीतिगत विराम नहीं था, बल्कि एक संतुलित संकेत था – कि RBI फिलहाल स्थिति को “देख और समझ” रहा है। पिछले छह महीनों में RBI ने पहले ही 100 बेसिस प्वाइंट्स की दर कटौती कर दी है – फरवरी और अप्रैल में 25-25 बिंदु, और जून में 50 बिंदु की एक बड़ी कटौती। इन कटौतियों का वास्तविक प्रभाव अभी भी अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सामने आ रहा है।
इसके साथ ही, जून 2025 में मुद्रास्फीति (CPI) मात्र 2.1% रही – जो कि पिछले कई वर्षों की सबसे निचली दरों में से एक है। यह दर RBI के निर्धारित 4% के लक्ष्य से काफी नीचे है। इससे साफ़ होता है कि मुद्रास्फीति फिलहाल कोई तात्कालिक खतरा नहीं है।
लेकिन वही दूसरी ओर, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 25% टैरिफ और वैश्विक व्यापार में बढ़ती अस्थिरता ने नीति निर्माताओं को सतर्क कर दिया है। इन परिस्थितियों में RBI का कोई नया कदम उठाना जल्दबाज़ी मानी जाती।
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट कहा – “नीति का रुख तटस्थ है”, यानी दरें अब किसी भी दिशा में तब तक नहीं बढ़ेंगी या घटेंगी जब तक आर्थिक आंकड़े उसे आवश्यक न साबित कर दें।
इस निर्णय का अर्थ है:
- ऋण लेने वाले लोगों की EMI में कोई बदलाव नहीं होगा।
- बैंक अपनी ब्याज दरों में तत्काल कोई कटौती नहीं करेंगे।
- बाज़ार अब आगामी मुद्रास्फीति आंकड़ों, त्योहारी मांग और वैश्विक संकेतों का इंतज़ार करेगा।
इस मौद्रिक नीति ने एक बात बिल्कुल स्पष्ट कर दी है अब से हर कदम व्यवस्थित, डेटा-संचालित और अंतरराष्ट्रीय संदर्भों के अनुसार होगा। RBI ने गेंद अपने पाले में ही रखी है, लेकिन नज़र पूरी अर्थव्यवस्था पर बनाए रखी है।