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चंदौलीराज्य/जिलाविधान सभा चुनाव

चंदौली में सपा की करारी हार के ये हैं तीन प्रमुख कारण, संगठन में बिखराव

चंदौली। यूं तो 2017 चुनाव के मुकाबले पूरे प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सीटों में इजाफा हुआ है लेकिन चंदौली में पुरानी कहानी ही दोहराई गई। दो सीटों पर प्रत्याशी बदलने के बाद भी सपा के लिए परिणाम नहीं बदले। मात्र सकलडीहा सीट पर जीत दर्ज कर विधायक प्रभुनारायण यादव ने कुछ हद तक सम्मान बचाया। मतगणना के बाद चट्टी चौराहों की चर्चा और जनता की जुबानी जो कहानी सामने आई उसे पाठकों के सामने रख रहे हैं।

कमजोर नेतृत्व, संगठन में बिखराव
विधान सभा में चुनाव में संगठन की कमजोरी साफ नजर आई। पिछले तकरीबन सात वर्षों से जिला इकाई की कमान संभालने वाले जिलाध्यक्ष वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य स्थापित नहीं कर सके। जिला पंचायत चुनाव में ही संगठन में बिखराव नजर आने लगा था। पार्टी नेता एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते रहे लेकिन उनके खिलाफ किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हुई। इससे पदाधिकारियों के बीच कटुता बढ़ती चली गई। पार्टी ने पंचायत चुनाव में उजागर हुई इस कमजोरी को दूर करने की दिशा में प्रयास नहीं किया। जिसका प्रतिकूल परिणाम विधान सभा चुनाव में देखने को मिला। पार्टी नेता एकजुट होकर चुनाव प्रचार में नहीं जुट सके।

पूर्व सांसद रामकिशुन व पूर्व विधायक बब्बन चौहान की नाराजगी
पूर्व सांसद रामकिशुन यादव की गिनती सपा के दिग्गज नेताओं में होती है। रामकिशुन यादव मुगलसराय विधान सभा से टिकट के तगड़े दावेदारों में थे। लेकिन पार्टी ने उन्हें विश्वास में लिए बगैर चंद्रशेखर यादव को टिकट दे दिया। नामांकन के आखिरी दिन टिकट की घोषणा की गई। इससे रामकिशुन यादव और उनके समर्थक खासे नाराज हो गए। जिले की चारों विधान सभाओं में इसका प्रभाव पड़ा। पूर्व सांसद ने किसी भी प्रत्याशी के समर्थन में खुलकर प्रचार तक नहीं किया। कुछ यहीं कहानी बसपा छोड़ सपा में आए पूर्व विधायक बब्बन चौहान के साथ भी घटित हुई। बब्बन चौहान को टिकट नहीं मिला तो मतदान से कुछ दिन पहले भाजपा में चले गए।

पार्टी प्रत्याशियों की उटपटांग हरकत और बयानबाजी
टिकट मिलने के तुरंत बाद ही चकिया से सपा प्रत्याशी जितेंद्र कुमार का आडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें वह अपने ही पार्टी नेताओं को लेकर अनाप-शनाप बोलते सुने गए। इसे लेकर स्थानीय नेताओं में आक्रोश गहरा गया। अपनी शिकायत लेकर नेता लखनऊ तक पहुंच गए। लेकिन शीर्ष नेतृत्व भी चकिया में प्रत्याशी के खिलाफ भड़की इस चिंगारी को समय रहते दबा नहीं सका ना ही इसमें रुचि दिखाई गई। लिहाजा पार्टी के कुछ नेताओं ने प्रत्याशी का साथ नहीं दिया। कुछ यही हाल सैयदराजा विधान सभा का भी रहा। यहां सपा प्रत्याशी अति उत्साह में गलती पर गलती करते चले गए। मतदान से ठीक पहले वाली रात को बीजेपी बूथ अध्यक्ष के साथ मारपीट मामले में एक वर्ग सपा प्रत्याशी से खासा नाराज हो गया। मनोज सिंह के समर्थकों ने चुनाव से पहले तक जिस तरह की धमाचौकड़ी मचाई उसका भी समाज में गलत संदेश गया।

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