fbpx
rail newsचंदौलीराज्य/जिला

तस्करी का जंक्शन पार्ट-3ः जंक्शन की सुरक्षा में छेद ही छेद, आरपीएफ और जीआरपी के 250 कर्मचारी तैनात फिर भी नहीं रुक रहीं तस्करी व चोरी जैसी घटनाएं

चंदौली। वैसे कागजों पर डीडीयू जंक्शन की सुरक्षा व्यवस्था चकाचक है। जीआरपी और आरपीएफ के 250 से अधिक इंस्पेक्टर, दारोगा और सिपाही ड्यूटी में मुस्तैद हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। पिछले एक माह के भीतर रेलवे सर्कुलेटिंग एरिया से आधा दर्जन बाइक चोरी हो चुकी हैं। शराब तस्करी बदस्तूर जारी है। लेकिन ऊपर तक मामला सेट होने के कारण जिम्मेदारों पर कार्रवाई का चाबुक नहीं चल पा रहा। ऐसी घटनाओं से रेल की साख प्रभावित हो रही है।

जंक्शन की सुरक्षा में आरपीएफ और जीआरपी के 250 से अधिक कर्मचारी तैनात
कागजी आंकड़ों को देखा जाए तो डीडीयू जंक्शन की सुरक्षा में आरपीएफ के 120, जीआरपी के 131 कर्मचारी लगाए गए हैं। इसमें इंस्पेक्टर, एसआई और कांस्टेबल शामिल हैं। इसके अतिरिक्त खूफिया जानकारी देने के लिए सीआईबी और एसआईबी के लगभग 15 कर्मचारी लगाए गए हैं। इनका काम स्टेशन के लेकर ट्रेनों तक में सुरक्षा मुहैया कराना है। लेकिन आपराधिक घटनाएं बदस्तूर जारी हैं। स्टेशन पर अवैध वेंडरिंग से लेकर शराब की तस्करी और चोरी जैसे मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे। हाई सिक्योरिटी कैमरों से लैस होने के बावजूद सर्कुलेटिंग एरिया से बाइकें गायब हो रही हैं। यहां तक कि जनप्रतिनिधि भी जंक्शन के रास्ते हो रही शराब तस्करी के मामले को सदन में उठा चुके हैं। लेकिन तगड़ी सेटिंग होने के कारण  महकमे के उच्चाधिकारी मौन साधे हुए हैं। जबकि शराब माफियाओं ने आरपीएफ के दो सिपाहियों की निर्मम हत्या तक कर दी। जांच में खुलासा भी हो चुका है कि शराब तस्करी में जीआरपी और आरपीएफ के साथ रेल के कर्मचारी संलिप्त थे। पूरी तफ्तीश के बाद भी मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

शो पीस बना लगेज स्कैनर

स्टेशन पर लाखों रुपए खर्च कर लगाया गया लगेज स्कैनर भी लगभग शो पीस बनाकर ही रह गया है। वैसे तो यहां नियमित तौर पर आरपीएफ सिपाहियों की ड्यूटी लगाई जाती है लेकिन वे बैठकर कोरमपूर्ति करते नजर आते हैं। किसी भी रास्ते से लोग आसानी से स्टेशन के भीतर दाखिल हो सकते हैं। हालांकि जब कभी अधिकारियों का दबाव बनता है तो डॉग स्क्वॉड के साथ प्लेटफॉर्म प्लेटफॉर्म घूम कर खानापूर्ति कर  ली जाती है।

 

Back to top button