
चंदौली। यात्रियों की सुविधा के लिए चलाई जा रहीं स्पेशल ट्रेन बिहार में अवैध शराब का मुफीद जरिया बन चुकी हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह कि इन ट्रेनों में रेल सुरक्षा बलों की ड्यूटी नहीं लगाई जाती है। इससे भी तस्करों को थोड़ी सहूलियत मिलती है। हालांकि ड्यूटी लगती तो भी शराब माफियाओं की सेहत पर विशेष फर्क नहीं पड़ता। कारण यह पूरा खेल ही सिंडिकेट की तर्ज पर चलाया जा रहा, जिसमें लोकल पुलिस से लेकर जीआरपी तक की बड़ी भूमिका सामने आ रही है।
स्पेशल ट्रेनों से सबसे अधिक बिहार भेजी जा रही शराब
डीडीयू जंक्शन से होकर गुजरने वाली स्पेशल ट्रेनें शराब तस्करी का सबसे मुफीद माध्यम बनी हुई हैं। हाल के दिनों में पुलिस ने दो दर्जन से अधिक तस्करों को पकड़ा, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। तस्कर पूछताछ में बता चुके हैं कि ट्रेनों के जरिए बिहार तक शराब पहुंचाते थे। पिट्ठू बैग में शराब भरकर पूरी रात विभिन्न ट्रेनों से तस्करी करते हैं। तस्कार में लोकल पुलिस के साथ जीआरपी की बड़ी भूमिका सामने आई है। मुनाफे की रकम जीआरपी ही तय करती है। जीआरपी के कुछ भ्रष्ट कर्मी एक निश्चित रकम लेकर तस्करों को ट्रेनों तक पहुंचाते हैं। यह खेल इतना बड़ा है कि इसमें सफेदपोश से लेकर महकमे के कुछ बड़े अधिकारी तक जुड़े हुए हैं। मुगलसराय के कुछ चर्चित लोग जो अवैध वेंडरिंग में शामिल रहे हैं भारी भरकम मुनाफे को देखते हुए अब शराब की तस्करी के धंधे में भी कूद पड़े हैं।