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वाराणसी

वाराणसी दौरे में प्रधानमंत्री मोदी देख सकते हैं ऐतिहासिक सरस्वती भवन पुस्तकालय, सविवि के कुलपति ने की बैठक

वाराणसी : सात और आठ जुलाई को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रहेंगे। दो दिवसीय प्रवास में प्रधानमंत्री सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक सरस्वती भवन पुस्तकालय में सरंक्षित दुर्लभ पांण्डुलिपियों को देखने के साथ यहाँ पर अध्ययनरत विभिन्न देशों के छात्रों से भी मिल सकते हैं।

विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री के संभावित आगमन को देखकर युद्ध स्तर पर तैयारियां चल रही है। इस बाबत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी ने समीक्षा बैठक में तैयारियों की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि परिसर के अंदर पिछले एक सप्ताह से स्वच्छता,सुन्दरीकरण,वृक्षों की छंटायी आदि का कार्य हुआ है। वर्षा होने पर परिसर में कहीं भी जल जमाव न हो इसके साथ ही सम्पूर्ण परिसर के इन्टरलॉकिंग का कार्य चल रहा है। इसकी समीक्षा कर उन्होंने इसके लेवल को भी जाँचने का निर्देश दिया है। जिससे कहीं भी ठोकर की स्थिति न बनें।

कुलपति के अनुसार विवि के विदेशी छात्रावास में चार दर्जन विद्यार्थी रहकर अध्ययनरत है। ये स्टूडेंट म्यांमार,नेपाल आदि देशों से है। सभी पाली, प्राकृत, बौद्ध आदि विषयों का शास्त्री,आचार्य का अध्ययन करने के साथ शोध कर रहे है।

गौरतलब हो कि सरस्वती भवन पुस्तकालय को सौ साल से भी अधिक हो चुके हैं। पुस्तकालय में 95 हजार से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियों का संग्रह है। इसमें हस्तलिखित एक हजार साल पुरानी श्रीमद्भागवत प्रमुख है। यह देश की प्राचीनतम पांडुलिपि है. इसी तरह स्वर्णपत्र आच्छादित, लाक्षपत्र पर कमवाचा (वर्मी लिपि) भी यहीं संग्रहित है। स्वर्णाक्षर युक्त रास पंचाध्यायी (सचित्र), वेद, कर्मकांड, वेदांत, सांख्य, योग, धर्मशास्त्र, पुराणेतिहास, ज्योतिष, मीमांसा, न्याय वैशेषिक, साहित्य, व्याकरण व आयुर्वेद की दुर्लभ पांडुलिपियां पुस्तकालय में मौजूद है। गोविंद भट्ट कृत ऋग्वेद संहिता, भाष्य और श्रुति विकास, सायणाचार्य कृत ऋग्वेद संहिता भाष्य भी पुस्तकालय में मौजूद है। विवि के अफसरों के अनुसार संरक्षित की गई पांडुलिपियों में से कुछ सोने की पत्ती, कागज, ताड़ और लकड़ी पर लिखे गए हैं।

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