वाराणसी। फागुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को देवाधिदेव महादेव व माता पार्वती का विवाहोत्सव महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस बार फागुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि 17 फरवरी की रात 8.05 बजे लग रही जो 18 फरवरी को शाम 5.43 बजे तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी लग जाएगी जो 19 की दोपहर 3.39 बजे तक रहेगी।
त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी 18 फरवरी की रात मिलने से महाशिवरात्रि इसी दिन मनाई जाएगी। पर्व विशेष पर शनि प्रदोष का संयोग बन रहा है। तिथि विशेष पर व्रत- रात्रि जागरण व चार पहर-चार प्रकार से पूजन- अर्चन का विधान है। महाशिवरात्रि व्रत का पारन 19 फरवरी को चतुर्दशी में ही किया जाएगा।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री के अनुसार पर्व विशेष पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना में मदार, बिल्व पत्र, धतूरा पुष्प चढ़ाने, भांग- धतूरा समेत नैवेद्यों के साथ भोग अर्पित करने का विधान है। पूरे दिन उपवास कर रात्रि में श्रीसांब शिवजी की पूजा करनी चाहिए।
चार पहर-चार प्रकार
रात्रि के चार पहर में चार बार चार प्रकार से भगवान शिव का पूजन-वंदन- अर्चन करना चाहिए। प्रथम पहर में शिवलिंग को गो दुग्ध, दूसरे पहर में दही, तसीरे में घी और चौथे पहर में मधु से स्नान कराकर पोषडशोपचार पूजन का विधान है।