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Chandauli News : श्री शिवमहापुराण कथा श्रवण से मनुष्य को मिलता है शिव का धाम, प्राप्त होते हैं सभी लौकिक सुख, मसोई में सात दिवसीय कथा का भव्य आयोजन

चंदौली। श्री वत्शेश्वर महादेव सेवा ट्रस्ट मसोई द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय श्री शिवमहापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ बुधवार को भव्य रूप से हुआ। कथा का शुभारंभ डैडी इंटरनेशनल स्कूल, विशुनपुरा, चंदौली के संस्थापक विनय कुमार तिवारी एवं प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ. अनिल तिवारी की पत्नी मंगला तिवारी द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इस धार्मिक आयोजन में क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

कलश यात्रा के साथ हुआ शुभारंभ

सुबह 8 बजे श्री वत्शेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण से कलश यात्रा निकाली गई। इसमें सैकड़ों महिलाओं एवं पुरुषों ने गाजे-बाजे के साथ भाग लिया। यह यात्रा श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर होते हुए पुनः श्री वत्शेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में संपन्न हुई। यात्रा के उपरांत श्रद्धालुओं को पंगत में प्रसाद वितरण किया गया।

शिव महापुराण कथा का दिव्य ज्ञान

कथा व्यास प्रयागराज से पधारे शिवम शुक्ला ने शिवमहापुराण की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि जो भी भक्त इस कथा को सुनता है, वह साधारण मनुष्य नहीं, बल्कि भगवान शिव के समान समझा जाता है। उन्होंने बताया कि शिव महापुराण की कथा सुनने से जीवन के समस्त सुख प्राप्त होते हैं और अंततः भगवान शिव का धाम प्राप्त होता है

कथा व्यास ने कहा कि सनातन धर्म संवाद की परंपरा पर आधारित है, न कि विवाद पर। जिस घर में संवाद होता है, वहां कभी भी कलह उत्पन्न नहीं होती। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जो कोई भी व्यक्ति शिवमहापुराण की कथा सुनता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसका उद्धार निश्चित होता है

देवराज ब्राह्मण की कथा से समझाया उद्धार का महत्व

शिवम शुक्ला जी महाराज ने किरातनगर के देवराज ब्राह्मण की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि देवराज एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे, लेकिन सांसारिक मोह में पड़कर उन्होंने अपने धर्म से विमुख होकर एक वैश्या से विवाह कर लिया। उन्होंने अपने परिवार और धार्मिक कर्तव्यों को छोड़ दिया और अधर्म के मार्ग पर चल पड़े। लेकिन संयोगवश जब वे प्रयागराज पहुंचे, तो वहां उन्होंने शिवमहापुराण की कथा सुनी। कथा सुनते-सुनते ही उनका शरीर त्याग हो गया। जब यमराज के दूत उन्हें लेने आए, तो भगवान शिव के गण प्रकट हुए और यमदूतों को परास्त कर दिया। शिवगणों ने कहा कि चाहे कोई कितना भी बड़ा पापी क्यों न हो, यदि वह शिवमहापुराण की कथा को श्रद्धापूर्वक सुनता है, तो भगवान शिव उसे अपने धाम में स्थान देते हैं

शिवरात्रि की उत्पत्ति की कथा

कथा व्यास ने यह भी बताया कि अधिकांश लोग मानते हैं कि शिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का दिन है, लेकिन इसका वास्तविक कारण यह है कि शिवरात्रि के दिन ब्रह्मा और विष्णु ने पहली बार भगवान शिव के स्वर्ण शिवलिंग की पूजा की थी। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर कहा कि आज से यह दिन ‘शिवरात्रि’ के नाम से जाना जाएगा और जो भी इस दिन मेरा व्रत और पूजन करेगा, वह मुझे ही प्राप्त करेगा। सात दिनों तक चलने वाली कथा में अलग-अलग प्रसंगों का वर्णन किया जाएगा और भक्तों को भगवान शिव के दिव्य स्वरूप एवं महिमा से परिचित कराया जाएगा।

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