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Chandauli News: अलविदा या हुसैन…” की सदा के साथ दफ्न हुए ताज़िए, करबला में अज़ादारों ने पेश की इमाम को आख़िरी सलामी

– मुहर्रम की दसवीं तारीख़ यौमे आशूरा पर चंदौली में निकला पारंपरिक जुलूस, मातम और श्रद्धा का मिला संगम

चंदौली। मुहर्रम के पाक महीने की दसवीं तारीख़ — यौमे आशूरा पर चंदौली जनपद की फ़िज़ा ग़मगीन और रूहानी बन गई जब अज़ादारों ने “अलविदा या हुसैन… या हुसैन अलविदा…” की सदाओं के साथ कर्बला के शहीदों को याद किया और ताज़ियों को सुपुर्द-ए-ख़ाक किया।

अजाखाना-ए-रज़ा से उठा जुलूस, कर्बला में ताज़ियों को दफन किया गया
इस अवसर पर अजाखाना-ए-रज़ा से अलम और ताज़ियों का पारंपरिक जुलूस निकाला गया, जो मुख्य बाज़ार, बबुरी रोड, एसपी कार्यालय और डीए कार्यालय मार्ग होते हुए बिछियां स्थित करबला पहुंचा। वहां श्रद्धापूर्वक ताज़ियों को दफन कर इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को अंतिम सलाम पेश किया गया।

जुलूस में अज़ादारों ने मातम किया, और शहीद-ए-कर्बला की याद में बहते आंसूओं ने माहौल को और भी भावुक बना दिया। हर कोने से “या हुसैन…” की गूंज वातावरण में ग़म और श्रद्धा की मिसाल बन गई।

“मुहर्रम कोई पर्व नहीं, यह एक इंसानी क्रांति है” — मौलाना
इस अवसर पर मौलाना ने कहा, “मुहर्रम कोई साधारण पर्व नहीं, बल्कि यह इंसानियत, सत्य और बलिदान की शिक्षा देने वाली क्रांति है। कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन का त्याग केवल मुसलमानों के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आज के समय में जब लालच, अन्याय और अधर्म अपने चरम पर हैं, कर्बला हमें न्याय और सच्चाई के लिए डट जाने की प्रेरणा देता है।

इस अवसर पर अली इमाम, रियाज़ अहमद, मोहम्मद रज़ा, ज़ैग़म इमाम, इंसाफ़, वकार सुल्तानपुरी, गुलाम ज़िलानी, फैज़ान हैदर, अदीब ज़फर, अब्बास रिज़वी, सैयद काज़िम रज़ा उपस्थित रहे।

 

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