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राज्य/जिलावाराणसीहेल्थ

सरकारी अस्पतालों में जन औषधि केंद्रों के संचालन में रोड़ा बने दवा माफिया, बाहर से लिखी जा रहीं दवाएं

वाराणसी/चंदौली। कह सकते हैं कि सरकारी अस्पताल दवा माफिया चला रहे हैं। शासन की लाख कवायद के बाद भी बाहर से दवाएं लिखी जा रही हैं। गरीबों के सस्ते इलाज की सरकार की मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही। चिकित्सक भी कमीशन के चक्कर में जेनेजन औरिक दवाएं न लिखकर कंपनियों की दवाएं लिख रहे हैं। ऐसे में अस्पतालों में खुले जन औषधि केंद्र शो-पीस बनकर रह गए हैं। यदि किसी मरीज ने जन औषधि केंद्र से दवा ले ली तो उसे खराब और नकली बताकर चिकित्सक वापस लौटाने का दबाव बनाते हैं।

लालबहादुर शास़्त्री राजकीय चिकित्सालय में दवा माफियाओं की हनक

यूं तो सभी सरकारी अस्पतालों की तस्वीर एक जैसी है लेकिन लाल बहादुर शास्त्री राजकीय चिकित्सालय रामनगर में दवा माफियाओं की हनक कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है। यहां चिकित्सक धड़ल्ले से बाहर की दवाएं लिखते हैं। यदि किसी मरीज ने जन औषधि केंद्र से दवा खरीद ली तो डाक्टर बाहर से दवा लाने का दबाव बनाते हैं। ऐसे में आए दिन मरीजों और चिकित्सकों के बीच किचकिच होती रहती है। मरीज सीएमएस के लिखित शिकायत भी कर चुके हैं लेकिन यहां तो पूरे कुएं में ही भांग घुली हुई है। मरीजों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में सस्ते इलाज के लिए जन औषधि केंद्र खोले गए। निर्देश जारी किया गया कि चिकित्सक जेनेरिक दवाएं ही लिखेंगे। यही नहीं निर्देश दिए गए है कि चिकित्सालयों में बोर्ड लगाकर दो नंबर भी प्रसारित किए जाएंगे ताकि बाहर की ब्रांडेड दवा लिखने पर मरीज शिकायत दर्ज करा सकें। लेकिन निर्देशों का अनुपालन नहीं हो पा रहा है।

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