चंदौलीराज्य/जिलाविधान सभा चुनाव

रक्षा मंत्री के गृह क्षेत्र चकिया में बीजेपी इतिहास दोहराएगी या मतदाताओं को हाथी या साइकिल की सवारी रास आएगी

REPORTER: कार्तिकेय पाण्डेय

चंदौली। विधानसभा सीट 1962 में वजूद में आई थी। उससे पहले यह क्षेत्र चंदौली विधानसभा का हिस्सा हुआ करता था। सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। खास बात यह कि रक्षा मंत्री व बीजेपी के कद्दावर नेता राजनाथ सिंह का पैतृक गांव भभौरा भी इसी विधानसभा सीट के अंतर्गत आता है। सपा की ओर से जितेंद्र कुमार को प्रत्याशी बनाए जाने से सियासत गरमा गई है। जबकि बसपा उम्मीदवार विकास आजाद पहले से ही ताल ठोंक रहे हैं।हालांकि अभी तक भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां कमल खिला था। भाजपा के शारदा प्रसाद ने जीत हासिल की थी। इस बार भी मुकाबला त्रिकोणीय है। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार सत्तारूढ पार्टी कामयाबी दोहराती है अथवा मतदाताओं को साइकिल अथवा हाथी की सवारी रास आती है।

इस बार किस पार्टी से कौन उम्मीदवार
चकिया से आम आदमी पार्टी ने रविशंकर पहलवान को उम्मीदवार बनाया है। वही समाजवादी पार्टी ने चकिया के पूर्व विधायक और बहुजन समाज पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए जितेंद्र कुमार पर दांव खेला है। बसपा विकास आजाद को प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। वहीं जन अधिकार पार्टी ने सुभाष सोनकर को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा ने अपने प्रत्याशी की घोषणा अभी तक नहीं की है।

2017 में 20 हजार मतों से हुई थी जीत
2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बसपा से आए शारदा प्रसाद को प्रत्याशी बनाया था। उन्होंने संगठन की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए जीत हासिल कर यह सीट भाजपा की झोली में डाल दी थी। बसपा प्रत्याशी जितेंद्र कुमार को लगभग 20 हजार मतों के अंतर से हराया था। समाजवादी पार्टी की पूनम सोनकर (तब वहां से सीटिंग एमएलए) तीसरे स्थान पर रहीं। हालांकि इस बार हालात बदल चुके हैं और कई आरोपों से घिरने के बाद बीजेपी विधायक बैकफुट पर हैं।

आखिरी चरण में सात मार्च को होगा मतदान
चकिया में आखिरी चरण के तहत 7 मार्च को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। नतीजे 10 मार्च को आएंगे। नक्सल प्रभावित विधानसभा सीट पर दो घंटे कम यानी सुबह सात से शाम चार बजे तक ही वोट पड़ेंगे।

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