
चंदौली। अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि डीडीयू जंक्शन पर अवैध वेंडरिंग की जड़ें कितनी गहरी हैं। सांसदों के संसद में मामला उठाने के बाद भी आरपीएफ के संरक्षण में जारी इस अवैध गतिविधि पर रोक नहीं लग पा रही है। मामला नीचे से ऊपर तक सेट है इसलिए मीडिया में प्रसारित खबरें भी नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह जा रही हैं। आज की खबर में हम आप को बताएंगे कि वेंडरों के लाइसेंस के नाम पर किस तरह खेल किया जाता है।
वेंडरों के लाइसेंस के नाम पर खेल
ऊपर तस्वीर में आप देखेंगे कि किस तरह फूड प्लाजा के बाहर टेबल लगाकर खाद्य सामग्री बेची जा रही है। यह पूरी तरह नियमों के विपरीत है। अब भोजन के पैकेट पर भी कभी गौर करिएगा उसपर न तो डेट अंकित रहता है ना ही भोजन तैयार होने का समय। ताकि यात्रियों को आसानी से बासी भोजन बेचा जा सके। इसके एवज में चर्चित ठेकेदार आरपीएफ, कामर्शियल और आईआरसीटीसी के अधिकारियों तक निर्धारित रकम पहुंचा देता है। यही नहीं वेंडरों के लाइसेंस के नाम पर कामर्शियल और आरपीएफ खेल करते हैं। फूड प्लाजा और जनाहार में कहने को तो चार से छह वेंडरों के लाइसेंस बने होते हैं लेकिन तकरीबन डेढ़ दर्जन वेंडर अवैध तरीके से वेंडरिंग करते हैं। आरपीएफ इंस्पेक्टर और उसके कारखास कामर्शियल विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिलकर न सिर्फ रेल यात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे बल्कि रेलवे को भी लाखों का चूना लगा रहे हैं।