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सीएम योगी के इस कदम से चंदौली निवासी पूर्व डिप्टी एसपी फिर चर्चा में, माफिया मुख्तार से लिया लोहा

 

चंदौली। बाहुबली विधायक मुख्यालय अंसारी पर पोटा लगाने वाले चंदौली निवासी पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह को अदालत ने बड़ी राहत देते हुए उनपर दर्ज मुकदमों को वापस लेने का आदेश दिया है। योगी सरकार के मुकदमा वापस लेने संबंधी फैसले को वाराणसी के सीजेएम कोर्ट ने अपनी मंजूरी दे दी है।
शैलेंद्र सिंह का आरोप है कि डिप्टी एसपी रहते हुए उन्होंने मुख्तार अंसारी के पास से लाइट मशीन गन बरामद की और उसके खिलाफ पोटा लगा दिया। तत्कालीन सपा सरकार ने केस खत्म करने का दबाव बनाया और नहीं मानने पर उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। कुछ माह बाद ही उनके खिलाफ वाराणसी में आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने के साथ जेल भी भेज दिया गया। बहरहाल योगी सरकार की पहल पर कोर्ट ने शैलेंद्र सिंह पर दर्ज मुकदमा वापस लेने का आदेश दिया है।

क्या था पूरा मामला
वर्ष 2004 में यूपी एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने मुख्तार अंसारी के एलएमजी खरीदने के मामले का खुलासा किया था। उन्होंने एलएमजी बरामद कर मुख्तार अंसारी के खिलाफ पोटा लगा दिया। इस फैसले से तत्कालीन सपा सरकार में खलबली मच गई। शैलेंद्र सिंह पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया गया। जिसके बाद उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। कुछ माह बाद डीएम कार्यालय के एक कर्मचारी ने शैलेंद्र सिंह के खिलाफ तोड़फोड़ व मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया गया। इसी मामले में उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी।

रास नहीं आई राजनीति
सैयदराजा क्षेत्र के फेसुड़ा गांव निवासी शैलेंद्र सिंह ने नौकरी से त्यागपत्र देने के बाद राजनीति में हाथ आजमाया। 2004 में वाराणसी से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चंदौली लोकसभा से किस्मत आजमाई लेकिन यहां भी हार के साथ निराशा ही हाथ आई। 2012 में कांग्रेस के टिकट पर सैयदराजा विधानसभा से विधायकी का चुनाव लड़ा लेकिन हार के क्रम को तोड़ नहीं पाए। इसके बाद 2014 में भाजपा में शामिल हो गए। अब शैलेंद्र सिंह लखनऊ में रहकर जैविक खेती कर रहे हैं जबकि उनके छोटे भाई गांव में ही खेती करते हैं।

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