चंदौली। अंदाजा लगा लीजिए कि कानून व्यवस्था को लेकर सूबे के सीएम क्या चाहते हैं और पुलिस कहां खड़ी है। मुगलसराय (Mughalsarai) में भरे बाजार पुलिस चौकी के समीप एक दर्जन मनबढ़ गाड़ी से उतरते हैं और सरकार के जल शक्ति मिशन से जुड़े निजी कंपनी के अधिकारियों को जमकर लतियाते हैं। पुलिस आधे घंटे बाद पहुंचती है और अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया जाता है। आरोपी अभी पुलिस की पकड़ से दूर हैं और ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि दूर ही रहेंगे। अंदरखाने से जो बात निकलकर सामने आ रही है वह यह कि इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम देने वाले सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि के करीबी हैं। ये वही जनप्रतिनिधि हैं जो सत्ता पाने के बाद से ही लगातार विवादों से घिरे हुए हैं।
सूत्रों की माने तो ठेकेदारी और जबरन भुगतान को लेकर जल शक्ति मिशन का काम देख रही निजी कंपनी के अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा था। दबाव काम नहीं आया तो मनबढ़ों ने कानून व्यवस्था को तार-तार कर दिया। घटना का सीसी टीवी फुटेज भी सामने आ चुका है। लेकिन पुलिस अभी भी ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ करती नजर आ रही है। मामले में रसूखदार नेता का नाम आने के चलते लात घूंसों से पिट चुके कंपनी के अधिकारी भी अपना मुंह नहीं खोल रहे ना कि पुलिस उनका मुंह खुलवाना चाह रही है। अन्यथा इतनी बड़ी घटना ऐसे ही नहीं घट जाती है। मुगलसराय में कानून व्यवस्था की जो लानत मलानत हुई है उसपर महकमे के बड़े अधिकारियों की चुप्पी भी सौ सवाल खड़े कर रही है। इसलिए इस मामले में पुलिस से किसी तरह की कार्रवाई की उम्मीद ना ही करें तो बेहतर होगा।