
चंदौली। चंद्रप्रभा अभयारण्य के कुनबे (परिवार)में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। बीते तीन वर्षों में 35 भालू बढ़ गए हैं। वर्ष 2025 में वर्तमान में इनकी संख्या 200 के पार है। हालांकि भालुओं की बढ़ती संख्या अब आसपास बसे गांवों के लिए गंभीर खतरा भी बनती जा रही है। जंगलों में भोजन और पानी के प्राकृतिक स्रोतों की कमी के चलते भालुओं का कुनबा तेजी से जंगल से बाहर निकलकर मानव बस्तियों की ओर बढ़ रहा है, जिससे मानव-वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। अभयारण्य से सटे गांवों के खेतों, सिवान और बाग-बगीचों में भालुओं की आवाजाही आम हो चुकी है और शाम ढलते ही खेतों में भालुओं के घुस आने की घटनाएं सामने आ रही हैं। ग्रामीणों के अनुसार भालू फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं और कई जगहों पर उनके हमले में लोग घायल भी हो चुके हैं, जिससेछ पूरे इलाके में भय और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 में चंद्रप्रभा अभयारण्य क्षेत्र में भालुओं की संख्या अपेक्षाकृत कम थी और यह संख्या 2022 तक भी सीमित दायरे में ही दर्ज की गई थी, लेकिन बीते तीन वर्षों में इसमें तेज वृद्धि हुई है और वर्ष 2025 में भालुओं की संख्या बढ़कर लगभग 205 तक पहुंच गई है। इस तरह चंद्रप्रभा अभयारण्य में भालुओं की कुल संख्या अब 200 के पार हो चुकी है, जो बीते तीन वर्षों में करीब 35 से अधिक की बढ़ोतरी को दर्शाती है।
7 वर्षों में दो भालू की हो चुकी मौत
भालुओं की बढ़ती आवाजाही के चलते सड़क हादसों का खतरा भी बढ़ गया है। बीते सात वर्षों में दो भालुओं की मौत दुर्घटनाओं में हो चुकी है। 13 सितंबर 2019 को चकिया-नौगढ़ मार्ग पर गोढ़टुटवा गांव के पास अज्ञात वाहन की टक्कर से एक मादा भालू की मौत हो गई थी, जबकि 28 जनवरी 2021 को नौगढ़ रेंज के पंडी कंपार्टमेंट में टूटे 11 हजार वोल्ट के बिजली तार की चपेट में आने से एक भालू की दर्दनाक मौत हुई थी।
ग्रामीणों का कहना है कि भालुओं की बढ़ती संख्या जहां वन्य जीव संरक्षण की सफलता मानी जा रही है, वहीं इसकी कीमत आसपास बसे गांवों के लोग अपनी फसल, आजीविका और जान जोखिम में डालकर चुका रहे हैं। वन विभाग जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाए।
भालुओं की संख्या पर एक नजर
वर्ष 2025 की गणना के अनुसार
भालू- 205, नर-90,मादा-60,बच्चे-39
वर्ष 2022 की गणना के अनुसार
भालू-170,नर-80, मादा-60,बच्चे-30
चंद्रप्रभा अभयारण्य में भालुओं की संख्या बढ़ना जैव विविधता के लिहाज से सकारात्मक संकेत है, लेकिन मानव-वन्य जीव संघर्ष एक गंभीर विषय है, विभाग की ओर से हालात पर नजर रखी जा रही है। ग्रामीणों से अपील की है कि सतर्क रहें।
बी शिवशंकर डीएफओ चंदौली

