
चंदौली। आज की दुनिया केवल भावनाओं की नहीं, बल्कि आर्थिक युद्ध की है। जब अमेरिका ने भारतीय सामान पर लगभग 50% टैरिफ बढ़ा दिया, तो यह सिर्फ टैक्स नहीं था बल्कि यह हमारे निर्यातकों पर एक सीधा वार था, ताकि उनका माल महंगा हो जाए और अमेरिकी कंपनियां बाजार पर काबिज रहें, लेकिन सच्चाई यह है कि हमारे पास भी ताकत है। अगर हम भारतीय थोड़ी सी भी खपत अमेरिकी ब्रांड्स पर घटा दें, तो उनका घाटा हजारों करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इन्हीं तमाम बिंदुओं पर डैडीज इंटरनेशनल स्कूल, बिशुनपुरा के संस्थापक डॉ. विनय प्रकाश तिवारी ने अहम सुझाव दिए।
फूड और बेवरेजेस – फास्ट फ़ूड का जाल
ब्रांड्स : मैकडॉनल्ड्स, KFC, पिज़्ज़ा हट, डोमिनोज़, सबवे, स्टारबक्स, बर्गर किंग, कोका-कोला, पेप्सीको।
भारत से सालाना राजस्व: 55,000 करोड़ रुपये
- 10% बिक्री घटे → अमेरिका को ~₹5,500 करोड़ का नुकसान
- 20% बिक्री घटे → ~₹11,000 करोड़ का नुकसान
- 30% बिक्री घटे → ~₹16,500 करोड़ का नुकसान
अमेरिका के टैरिफ से भारत को हर साल 12,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
रिटेल और लाइफ़स्टाइल – पहनें भारतीय गर्व
ब्रांड्स: नाइकी, स्केचर्स, लीवाइस, रैंगलर, ली, टॉमी हिलफ़िगर, कैल्विन क्लाइन, गैप।
भारत से सालाना राजस्व: ₹15,000 करोड़
- 10% बिक्री घटे → ₹1,500 करोड़ का नुकसान
- 20% बिक्री घटे → ₹3,000 करोड़ का नुकसान
- 30% बिक्री घटे → ₹4,500 करोड़ का नुकसान
अमेरिका के कपड़ा टैरिफ से भारत को ₹8,000 करोड़ का नुकसान हुआ।
टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स – छुपा हुआ रिसाव
ब्रांड्स: एप्पल, माइक्रोसॉफ़्ट, गूगल, अमेज़न, डेल, HP, इंटेल, क्वालकॉम।
भारत से सालाना राजस्व: ₹2,50,000 करोड़
- 10% बिक्री घटे → ₹25,000 करोड़ का नुकसान
- 20% बिक्री घटे → ₹50,000 करोड़ का नुकसान
- 30% बिक्री घटे → ₹75,000 करोड़ का नुकसान
अमेरिकी टेक टैरिफ और पाबंदियों से भारत को ₹40,000 करोड़ का नुकसान।
ऑटोमोबाइल्स – विदेशी सड़कों पर क्यों चलें?
ब्रांड्स: फोर्ड, हार्ले-डेविडसन, जीप, जनरल मोटर्स।
भारत से सालाना राजस्व: ₹8,000 करोड़
- 10% बिक्री घटे → ₹800 करोड़ का नुकसान
- 20% बिक्री घटे → ₹1,600 करोड़ का नुकसान
- 30% बिक्री घटे → ₹2,400 करोड़ का नुकसान
भारत के ऑटो पार्ट्स पर अमेरिकी टैरिफ से ₹5,000 करोड़ का नुकसान हुआ।
फ़ाइनेंस और कंसल्टिंग – हमारी जेबों पर कब्ज़ा
ब्रांड्स: गोल्डमैन सैक्स, JP मॉर्गन, मॉर्गन स्टेनली, सिटीबैंक, वीज़ा, मास्टरकार्ड, अमेरिकन एक्सप्रेस।
भारत से सालाना राजस्व: ₹45,000 करोड़
- 10% बिक्री घटे → ₹4,500 करोड़ का नुकसान
- 20% बिक्री घटे → ₹9,000 करोड़ का नुकसान
- 30% बिक्री घटे → ₹13,500 करोड़ का नुकसान
अमेरिकी नीतियों ने भारत के वित्तीय निर्यात को ~₹10,000 करोड़ तक चोट पहुंचाई।
अन्य सेक्टर – रोज़मर्रा के सामान में छिपा सच
ब्रांड्स: 3M, कैटरपिलर, व्हर्लपूल, कोलगेट-पामोलिव, प्रॉक्टर & गैम्बल (P&G)।
भारत से सालाना राजस्व: ₹30,000 करोड़
- 10% बिक्री घटे → ₹3,000 करोड़ का नुकसान
- 20% बिक्री घटे → ₹6,000 करोड़ का नुकसान
- 30% बिक्री घटे → ₹9,000 करोड़ का नुकसान
इन क्षेत्रों पर अमेरिकी टैरिफ से भारत को ₹6,000 करोड़ का नुकसान।
निष्कर्ष
- अमेरिका के 50% टैरिफ ने भारत को हर साल करीब ₹80,000 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है।
- लेकिन अगर हम भारतीय अमेरिकी ब्रांड्स की सिर्फ़ 30% खपत घटा दें, तो उन्हें सालाना ₹1,20,000 करोड़ से अधिक का घाटा होगा।
ये सिर्फ़ बहिष्कार नहीं है, ये आर्थिक स्वाभिमान की लड़ाई है।
हर कोक छोड़ना, हर iPhone को न लेना, हर Visa की जगह RuPay इस्तेमाल करना – यही असली देशभक्ति है।