
चंदौली। नगर के अजाख़ाना-ए-रज़ा में मुहर्रम की दूसरी मजलिस का आयोजन संपन्न हुआ, जिसमें मौलाना मोहम्मद मेहदी ने इमाम हुसैन की कुर्बानी और इंसानियत के लिए दिए गए उनके बलिदान को याद करते हुए कहा “देश और इंसानियत के लिए बलिदान देना इंसान का फ़र्ज़ है। वही व्यक्ति सच्चा नायक होता है, जो मानवता की भलाई के लिए अपने जीवन तक को कुर्बान कर दे।”
मौलाना ने करबला की ऐतिहासिक घटनाओं को विस्तार से बताते हुए कहा कि मुहर्रम की दूसरी तारीख बेहद अहम है क्योंकि इसी दिन इमाम हुसैन अपने कारवां के साथ करबला पहुंचे थे, जहां से बलिदान और सच्चाई का वह अध्याय शुरू हुआ जिसने इंसानियत को एक नई दिशा दी।
उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन की करबला यात्रा इस बात की गवाही है कि भारत की धरती सदियों से शांति, समभाव और न्याय का प्रतीक रही है।
ग़मगीन नौहाख़्वानी और सोज़ख़्वानी ने बढ़ाया माहौल का असर
कार्यक्रम के दौरान अंजुमन-ए-जव्वादिया (वाराणसी) और अंजुमन अब्बासिया (सिकंदरपुर) ने ग़मगीन नौहाख़्वानी व मातम पेश किया। मशहूर शायर मायल चंदौलवी ने सोज़ख़्वानी कर इमाम हुसैन और उनके साथियों को खिराजे अकीदत पेश किया।
शहंशाह मिर्जापुरी (मिर्जापुर) और वकार सुल्तानपुरी (लखनऊ) ने अपने शेरों के ज़रिये करबला की दर्दनाक दास्तां सुनाई, जिससे मजलिस में सन्नाटा छा गया और कई श्रोताओं की आंखें नम हो गईं।
जल्द निकलेगा ताबूत और अलम का जुलूस
सैम हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. सैयद गजन्फर इमाम ने बताया कि मुहर्रम की 5वीं तारीख को अजाख़ाना-ए-रज़ा से ताबूत और अलम का जुलूस निकाला जाएगा, जिसमें आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में अज़ादार शरीक होंगे।
इस मौके पर मुदस्सिर, शकील, सरवर, इंसाफ, साजिद, सफदर अली, मुस्तफा, कौसर अली, रेयाज़ अहमद आदि रहे।