
चंदौली। रामगढ़ स्थित बाबा कीनाराम सभागार में रविवार को भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के अवसर पर अटल स्मृति सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वाजपेयी जी के जीवन, व्यक्तित्व-कृतित्व और आधुनिक भारतीय राजनीति में उनके अतुलनीय योगदान पर विस्तार से चर्चा हुई।
मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री शिवाकांत ओझा ने अपने संबोधन में कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय लोकतंत्र के सजग प्रहरी और राष्ट्रीय अस्मिता के सशक्त प्रतीक थे। उन्होंने विपक्ष में रहते हुए भी राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा और संवाद, नैतिकता व आदर्शों पर आधारित राजनीति से सार्वजनिक जीवन को नई दिशा दी।
विशिष्ट अतिथि कृष्णबिहारी राय (पूर्व जिलाध्यक्ष, गाज़ीपुर) ने कहा कि स्वर्गीय वाजपेयी न केवल दूरदर्शी राजनेता थे, बल्कि संवेदनशील कवि और कुशल प्रशासक भी थे। उनकी नीतियों से ग्रामीण विकास, परमाणु शक्ति, अधोसंरचना विस्तार और विदेश नीति को नई मजबूती मिली।
वहीं विशिष्ट अतिथि एवं पूर्व विधानसभा प्रत्याशी सूर्यमुनी तिवारी ने कहा कि अटलजी की राजनीति समावेश, सौहार्द और विकास के मूल मंत्र पर आधारित थी। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अटलजी के आदर्शों से प्रेरणा लेकर राष्ट्रनिर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं।
कार्यक्रम के संयोजक सत्येंद्र सिंह बब्बू ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह सम्मेलन केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि अटलजी के विचारों, उनकी लोकशैली और सुशासन की परंपरा को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प है। उन्होंने कहा कि जन्म शताब्दी वर्ष में ऐसे आयोजन समाज को वैचारिक दिशा प्रदान करेंगे।
सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्वकाल, पोखरण परमाणु परीक्षण, लाहौर बस यात्रा, कश्मीर नीति, ग्रामीण सड़क विकास योजना और लोकतांत्रिक मर्यादाओं के संरक्षण में उनकी भूमिका को ऐतिहासिक बताया।
कार्यक्रम में ब्लॉक प्रमुख अरुण जायसवाल, सत्येंद्र सिंह, मनोज मौर्या, अरुण मिश्रा, जयप्रकाश चौहान, गोपाल राजभर, बुद्धू लाल विश्वकर्मा, रामसुंदर चौहान, संकठा राजभर, योगेंद्र मिश्रा, गोपाल सिंह, राजेंद्र पाण्डेय, अभिषेक मौर्या, रवि गुप्ता, कुमुद बिहारी सिंह, विजय गुप्ता, सतीश दूबे, राजेंद्र श्रीवास्तव, जैनेन्द्र धर दूबे, शशि पाण्डेय, रेखा निषाद सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

