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टीईटी आदेश से आक्रोशित शिक्षकों ने सांसद वीरेंद्र सिंह से की मुलाकात, नियम 377 के तहत लोकसभा में उठा मुद्दा

चंदौली।  प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत सैकड़ों पुराने अध्यापनरत शिक्षकों ने रविवार को सांसद वीरेंद्र सिंह के आवास पर भेंट कर उच्च न्यायालय के हालिया आदेश से उत्पन्न अपनी पीड़ा से अवगत कराया। उक्त आदेश के अनुसार वर्तमान में कार्यरत सभी पुराने शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया है, अन्यथा उन्हें अपनी सेवाओं से वंचित होना पड़ेगा। शिक्षकों ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार की लचर पैरवी के कारण सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया गया है, जिससे वर्षों से सेवा दे रहे शिक्षकों के भविष्य पर गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। इस गंभीर विषय को सांसद वीरेंद्र सिंह ने लोकसभा में नियम 377 के अंतर्गत उठाया है, जिसे स्वीकृति भी मिल चुकी है। सोमवार को यह विषय सदन के पटल पर रखा जाएगा। सांसद ने मांग की है कि तीन न्यायाधीशों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए, जो इस आदेश के वर्तमान शिक्षकों पर पड़ने वाले प्रभाव का समग्र मूल्यांकन करे तथा वरिष्ठ एवं दीर्घकालिक सेवा दे रहे शिक्षकों के लिए व्यावहारिक और न्यायोचित समाधान सुझाए। समिति से अपेक्षा की गई है कि वह शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक हित-दोनों को ध्यान में रखते हुए संतुलित रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
शिक्षकों को आश्वस्त करते हुए वीरेंद्र सिंह ने कहा कि वह इस लड़ाई को “सड़क से सदन तक” पूरी मजबूती से लड़ेंगे। कहा कि उनकी इस न्यायपूर्ण लड़ाई में समाजवादी पार्टी हर कदम पर उनके साथ खड़ी है।

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