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चकिया विधान सभा से सपा के टिकट के लिए मची होड़, ये दावेदार ठोक रहे ताल

संवाददाताः मुरली श्याम

चंदौली। विधान सभा चुनाव की आहट मिलने लगी है। प्रमुख दल अपने प्रत्याशी घोषित करने लगे हैं। चंदौली जिले की एकमात्र सुरक्षित विधान सभा सीट चकिया से बसपा और आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मेदवारों की घोषणा कर दी है। अब नजर सपा पर है। यह देखना भी खासा दिलचस्प है कि सपा किसे टिकट देगी। अबकी टिकट के दावेदारों की लिस्ट काफी लंबी है। कुछ कद्दावर नेता दूसरे दलों को छोड़कर टिकट की आस में सपा में शामिल हुए हैं।

चकिया विधान सभा का हाल
चकिया विधान सभा का अधिकांश इलाका नक्सल प्रभावित है। घनघोर जंगल और पहाड़ों से आच्छादित इलाके में पानी का अकाल पंडित कमलापति त्रिपाठी ने नहरों का जाल बिछाकर दूर किया। हालांकि नौगढ़ क्षेत्र की बड़ी आबादी अभी भी पेयजल संकट का सामना कर रही है। विधान सभा सीट फिलहाल सुरक्षित सीट है। चुनावी मुद्दों की बात करें तो इस नक्सल प्रभावित इलाके में बिजली, पानी, शिक्षा, सड़क और स्वास्थ्य सिचाई की समस्या चुनावी मुद्दा रहती है। हालांकि यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से भरा पड़ा है, जिसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। इससे यहां रोजगार की अपार संभावनाएं पैदा हो सकती हैं।
ये रहे सपा से टिकट के दावेदार

जितेंद्र कुमार
बसपा विधायक रहे जितेंद्र कुमार (एडवोकेट) अब सपाई हो चुके हैं। बीए एलएलबी की पढ़ाई की है। पेशे से वकील रहे जितेंद्र कुमार ने बसपा के बूथ स्तरीय पदाधिकारी से अपनी राजनीति की शुरुआत की। बसपा से ही तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़े। साल 2007 के पहले चुनाव में जीतकर वह विधायक भी बने। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जबकि 2017 के चुनाव में भी भाजपा से मात खाकर दूसरे स्थान पर रहे।

पूनम सोनकर

पूर्व विधायक पूनम सोनकर भी टिकट के तगड़े दावेदारों में शामिल हैं। 2012 में बसपा विधायक जितेंद्र कंुमार को हराया था। 2017 में पूनम सोनकर को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। अपने दिवंगत पति सत्य प्रकाश सोनकर के व्यवहार और राजनीतिक छवि की वजह से क्षेत्र में लोकप्रिय हैं। पूनम सोनकर ने हाईस्कूल तक की शिक्षा ग्रहण की है।

डॉ रामआधार जोसेफ
लगभग 15 वर्षों से राजनीतिक के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। दूसरी बार फिर कांग्रेस के टिकट पर विधायकी लड़ी उसमें भी पराजित हुए। एक बार किस्मत आजमाने के लिए 2017 में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। लेकिन टिकट नहीं मिला तो तीसरी दफा दल बदलते हुए लगभग 3 साल पूर्व समाजवादी पार्टी ज्वाइन की। उच्च शिक्षा प्राप्त डॉ रामआधार जोसफ राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से सम्मानित हो चुके हैं।

दशरथ सोनकर
लगभग 20 वर्षों से राजनीति क्षेत्र में सक्रिय हैं। समाजवादी पार्टी में काफी दिनों तक रहे इसके बाद 2007 में बसपा की सरकार बनते ही चोला बदल लिया और बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए। इसके बाद 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो बगैर देरी किए सपा में शामिल हो गए। तब से पार्टी मेें सक्रिय हैं। इनका मुख्य पेशा सब्जी मंडी में आढ़त का व्यापार है। इंटरमीडिएट तक पढ़े हैं। जनता में अच्छी पकड़ है। पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं। वैसे पुत्र को भी जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़वाया था लेकिन जीत हासिल नहीं हुई।

अमर सिंह गोड़ उर्फ पिंटू बाबा
पढ़े-लिखे  हैं। स्नातकोत्तर हैं। अध्यात्म से जुड़े व्यक्ति हैं। लेकिन आध्यात्म की वजह से ही क्षेत्र में अच्छी पहचान है। पहली बार अपना दल एस में शामिल हुए और अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत की। लेकिन वहो टिकट न मिलने से नाराज होकर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।

प्रवीण कुमार सोनकर
पेसे से इंजीनियर हैं। पूर्व में सिंचाई विभाग में एसडीओ के पद पर नियुक्त थे। सरकार के खिलाफ टिप्पणी करने पर इन्हें निलंबित कर दिया गया। इसके बाद नौकरी छोड़कर राजनीति में उतर गए और सपा में सक्रिय हो गए। कई वर्षों से समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार प्रसार कर रहे हैं। विधानसभा से टिकट के लिए दावेदारी भी ठोंक दी है।

राजप्रिया इंदु
बनौली चट्टी बबुरी की रहने वाली हैं। शिक्षित परिवार से ताल्लुक रखती हैं। विधान सभा चुनाव लड़ने की इच्छा से सपा के टिकट के लिए आवेदन किया है।

383 चकिया विधानसभा आंकड़ों पर नजर

कुल मतदाता -364799
पुरुष मतदाता -195149
महिला मतदाता – 169646
थर्ड जेंडर -4

विधानसभा में जातिगत स्थिति

मुसलमान- 30 हजार
यादव- 40 हजार
दलित- 1 लाख 10 हजार
राजभर- 25 हजार
वैश्य- 30 हजार
बिन्द – 10 हजार
कोइरी कुशवाहा- 28 हजार
ब्राह्मण- 28 हजार
राजपूत- 18 हजार
बनवासी- 25 हजार
अन्य मतदाता- 30 हजार

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