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चंदौलीप्रशासन एवं पुलिसराज्य/जिला

जांच के साथ ही खुल रही मतदाता सूची में गड़बड़ी की पोल, जानिए कैसे हुआ खेल

चंदौली। यह बात तकरीबन साफ हो चुकी है कि चंदौली में कुछ भ्रष्ट बीएलओ और अधिकारियों ने दलालों से पैसे लेकर मतदाता सूची में जमकर गड़बड़ी की। पूरी मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में है। निर्वाचन कार्यालय से संबद्ध सफाईकर्मी और प्रधान प्रतिनिधि के बीच हुई बातचीत का आडियो वायरल होने के बाद से प्रशासनिक अमले में खलबली मची हुई है। डीएम संजीव कुमार ने जांच के आदेश दिए हैं। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है गड़बड़ी के मामले भी उजागर हो रहे हैं। जिले में मतदाता सूची की प्रिंटिंग समेत अन्य कार्यों के लिए आजमगढ़ के एक वेंडर को जिम्मेदारी सौंपी गई है। निर्वाचन दफ्तर से विलोपन के आवेदन वेंडर को भेजते समय ही हेराफेरी की जाती है। वेंडर की ओर से क्रमांक संख्या के आधार पर सूची से नाम काट दिया जाता है। हालांकि अपने बचाव के लिए अधिकारी निर्वाचन दफ्तर के रिकार्ड में इसे दर्ज नहीं करवाते हैं।
जसूरी गांव में नाम विलोपन के लिए कुल 51 आवेदन आए थे लेकिन 162 मतदाता सूची से बाहर हो गए। इसी तरह सवइयां में 17 आवेदन पर 72 लोगों का नाम काट दिया गया। इसी तरह अन्य गांवों में दर्जनों की संख्या में मतदाताओं का नाम सूची से काटे जाने के बाद ग्रामीण आक्रोशित हैं। बीएलओ, तहसीलों के कर्मियों के साथ निर्वाचन दफ्तर के कर्मचारियों पर भी आरोप लगे हैं। ऐसे में अब अनियमितता में शामिल कर्मियों का गला फंसता जा रहा है। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन भी किया जा चुका है। जिले में लगभग एक लाख लोगों का नाम सूची से काटा गया, जबकि तीन लाख से अधिक नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए। मतदाता सूची पुनरीक्षण की जिम्मेदारी तहसील प्रशासन को सौंपी गई थी। राजस्वकर्मी, शिक्षामित्र व आंगनबाड़ी को बीएलओ की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनकी नियुक्ति में पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हुए। कई ग्राम पंचायतों में जनप्रतिनिधियों के घर के सदस्यों को ही बीएलओ बना दिया गया। इसको लेकर ग्रामीणों को शुरू से ही शिकायत रही। उच्चाधिकारियों से शिकायत के बावजूद कोई ठोस पहल नहीं हुई। मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन होने पर पात्रों का नाम सूची से काटे जाने की जानकारी होने के बाद खलबली मची है। सदर तहसील के कई गांवों में इस तरह की शिकायतें मिली हैं। डीएम के निर्देश पर एसडीएम ने निर्वाचन दफ्तर की जांच की तो अनियमितता साफ उजागर हुई। हालांकि अधिकारियों-कर्मचारियों ने विलोपन आवेदनों को वेंडर के पास भेजने की बात कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की, लेकिन एसडीएम ने कई गांवों की पत्रावलियां अपने कब्जे में ले ली।

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