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चंदौली। पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू जनता के चहेते हैं तो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भी काफी निकट हैं। तभी तो उन्हें पार्टी ने राष्ट्रीय सचिव जैसी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। लेकिन यह बात सपा के कुछ नेता और पदाधिकारी हजम नहीं कर पा रहे। यही वजह है कि जिला इकाई की ओर से जब-तब उन्हें नजरअंदाज करने की कोशिश की जाती रही है। सोमवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ। किसानों को सम्मान दिलाने मुख्यालय पर जुटे सपाई अपने ही राष्ट्रीय सचिव का सम्मान नहीं कर सके। मनोज सिंह डब्लू रास्ते में ही थे और वरिष्ठ नेताओं ने जिला प्रशासन को पत्रक सौंपकर किसान पदयात्रा कार्यक्रम समाप्त कर दिया। पूर्व विधायक आवाक थे तो खासे आहत भी नजर आए। उनके साथ बड़ी संख्या में आए कार्यकर्ता और किसानों को भी पार्टी के नेताओं का यह कदम नागवार गुजर रहा था। बहरहाल ऐसा पहली दफा नहीं हुआ जब मनोज सिंह को आपने ही पार्टी के नेताओं से अपमान का घूंट पीना पड़ा। लेकिन जब-जब उन्हें दरकिनार करने की कोशिश हुई उनकी छवि मजबूत होती गई।
पहले भी किया गया नजरअंदाज
पूर्व विधायक और सपा के राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू की जनप्रिय छवि कुछ नेताओं को रास नहीं आ रही। पार्टी नेता उनकी लोकप्रिय छवि को भुनाने की बजाय उन्हें दरकिनार करने में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। यह वही मनोज सिंह हैं जिन्होंने पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर 2012 विधान सभा चुनाव में निर्दल प्रत्याशी के रूप में उतरने का फैसला किया था। पार्टी से बगावत नहीं करते लेकिन चुनावी कार्यक्रम में अपनी बात कहने मंच पर चढ़े तो कुछ नेताओं ने उन्हें धक्का देकर नीचे उतार दिया। मनोज के इस अपमान का जवाब जनता ने दिया। सपा प्रत्याशी की जमानत जब्त होने की कगार पर पहुंच गई और मनोज सैयदराजा विधानसभा के पहले विधायक बने। इतना कुछ होने के बाद भी सपा के शीर्ष नेताओं ने उन्हें पार्टी में शामिल करने में जरा भी देरी नहीं की। 2017 विधान सभा चुनाव में सपा ने उन्हें टिकट भी दिया। बदले चुनावी समीकरण में चुनाव हार गए तो क्या हुआ। न तो उन्होंने जनता का साथ छोड़ा ना ही जनता ने उन्हें अपने से दूर महसूस किया। जनसमस्याओं को लेकर शासन और प्रशासन से टकराते रहे। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव जैसा बड़ा ओहदा भी दिया है। लेकिन जिले स्तर पर तो बस अपनी ढफली अपना राह ही चल रहा है।