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वाराणसी

Varanasi News : रूस के एंटोन एंड्रीव बने अनंतानंद नाथ, तंत्र दीक्षा लेकर अपनाया हिंदू धर्म

वाराणसी। वो कहावत है ना कि आप ने एक बार हिन्दू धर्म को जानना शुरु किया तो आप जीवन के हर चक्र को करीब से जान जाएंगे। ऊंच-नीच -स्वार्थ से ऊपर उठ जाएंगे। कुछ ऐसा ही हुआ रूस के एंटोन एंड्रीव के साथ, जो तंत्र दीक्षा के साथ बन गए अनंतानंद नाथ। वाराणसी के शिवाला स्थित वाग्योग चेतना पीठम में गुरुवार को आयोजित अनुष्ठान के दौरान एंटोन की तंत्र दीक्षा पूरी की। अनंतानंद को गुरु मंत्र और गोत्र कश्यप मिला। इसके साथ ही अनंतानंद नाथ की सनातन धर्म की यात्रा भी अब शुरू हो गई।

एंड्रीव रूस और यूक्रेन के युद्ध से काफी व्यथित थें
एंटोन एंड्रीव रूस और यूक्रेन के युद्ध से काफी व्यथित हैं और इसकी शांति के लिए मां तारा से प्रार्थना करेंगे। एंटोन महामहोपाध्याय आचार्य वागीश शास्त्री के संपर्क में 2015 में आए थे लेकिन समय नहीं होने के कारण साधना पूरी नहीं कर सके थे। उन्होंने आशापति के सानिध्य में कुंडलिनी साधना की संपूर्ण 10 कक्षाएं पूर्ण कीं।

तंत्र दीक्षा की शुरुआत आशापति शास्त्री के आचार्यत्व में पं. सत्यम शास्त्री और पं. विनीत शास्त्री ने की। पीतांबर धारण किए एंटन पूजन के दौरान सनातनी भाव में डूबे हुए नजर आए। विधि-विधान व दीक्षा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एंटोन अब अनंतानंद नाथ ने बताया कि वे परमात्मा की शरण में जाने और उच्च साधना के लिए मंत्र की दीक्षा ली है।

80 देशों के 15 हजार विदेशी शिष्यों को दीक्षा दी
पंडित आशापति शास्त्री ने बताया कि गुरु वागीश शास्त्री और मेरे द्वारा अब तक 80 देशों के 15 हजार विदेशी शिष्यों को दीक्षा दी गई है। दीक्षा लेने की परंपरा 1980 में शुरू की गई थी। तब से लगातार यह कार्य चल रहा है। जो व्यक्ति पात्र है, उसी को दीक्षा दी जाती है।

एंटोन एंड्रिव ने बताया कि वह रूस में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट हैं। उन्हें रूस में बनारस के वागीश शास्त्री के बारे में पता चला और कुंडलिनी जागृत करने की इच्छा हुई। कुछ कक्षाएं भी लीं लेकिन पूरा नहीं कर पाए। कई व्यवधान के बाद 2022 में गुरु वागीश शास्त्री का निधन हो गया था। 10 दिनों के ध्यान के दौरान मुझे जो अनुभूति हुई है उसको शब्दों में बयां करना नामुमकिन है।

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