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चंदौली। जिला न्यायालय व मुख्यालय निर्माण संघर्ष समिति का आंदोलन धीरे धीरे उग्र होता जा रहा है। संयुक्त बार एसोसिएशन अब आर-पार की लड़ाई के मूड में है। खासतौर से जनप्रतिनिधियों के जिला न्यायालय व मुख्यालय निर्माण के मुद्दे पर उदासीन रवैये को लेकर अधिवक्ताओं में आक्रोश है। आंदोलनरत अधिवक्ता जनप्रतिनिधियों को मृतप्राय मानकर उनकी विधिविधान से अंत्येष्टि करने के साथ ही शवयात्रा निकालेंगे। कचहरी में जनप्रतिनिधियों का दसवां, तेरहवीं करेंगे। इसके बाद गया श्राद्ध व पिंडदान भी करेंगे।
आंदोलन के आठवें दिन अधिवक्ताओं ने प्रेस कांफ्रेंस की। आंदोलन के संयोजक झन्मेजय सिंह ने कहा कि चंदौली जिले का निर्माण वर्ष 1997 में हुआ था, लेकिन इन 26 सालों में जिले को उसका हक नहीं मिला, जिसके लिए अधिवक्ता बार-बार संघर्ष करते रहे। बावजूद इसके हर बार जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की ओर से झूठा आश्वासन देकर जिले की जनता के साथ विश्वासघात किया जाता रहा। इस बार अधिवक्ता और आम जनमानस आर-पार की लड़ाई के मूड में है। चन्दौली आंदोलन की गूंज दिल्ली तक सुनाई देगी। कहा कि जनपद सृजन के 26 सालों में जिले के विकास का आलम यह है कि जिलाधिकारी समेत किसी भी अधिकारी के पास अपना आवास नहीं है। यह प्रदेश का नहीं बल्कि पूरे देश का सबसे अभागा जनपद है, जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। पंडित कमलापति त्रिपाठी के बाद इस जिले में ऐसा कोई जनप्रतिनिधि नहीं हुआ, जिसने जिले के विकास के बारे में सोचा, बल्कि वर्तमान जनप्रतिनिधि पंडित कमलापति त्रिपाठी के विकास को भी यहां से मिटाने पर तुले हैं। जिले के जनप्रतिनिधियों, चाहे सांसद हो या विधायकगण हों, सदन में एक मिनट भी जिले की दुर्दशा को बताने का प्रयास नहीं किया। जिला मुख्यालय के विकास के लिए प्रयासरत अधिवक्ताओं को मुख्यमंत्री व शासन से दूर रखने का हरसंभव प्रयास किया। ताकि चंदौली विकास में बाधा बरकरार रहे।
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि आगामी सात दिनों में अपनी स्थिति स्पष्ट करें कि वह चंदौली जिला मुख्यालय के विकास के साथ हैं या उसके खिलाफ बार एसोसिएशन उनसे अनुरोध करता है कि आने वाले सात दिनों में शासन व हाईकोर्ट स्तर से जिला न्यायालय के लिए लंबित प्रक्रिया को पूर्ण कर निर्माण कार्य शुरू कराएं। साथ ही जिला मुख्यालय पर जिन सरकारी दफ्तरों की जमीन आवंटित है, उनका भी यथाशीघ्र निर्माण प्रारंभ करा दें। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि अगर हमारे क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि चाहे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात कर आ रही सारी दिक्कतों को दूर करने की पहल कर सकते हैं। यदि जनप्रतिनिधियों ने कोई प्रयास नहीं किया तो तो अधिवक्ता उन्हें मृतप्राय मान लेंगे और इनके अंतिम संस्कार की सभी प्रक्रिया पूरे विधि-विधान के साथ सम्पन्न कराएंगे। सर्वप्रथम जिले में सांसद, विधायकों का बुद्धि-शुद्धि यज्ञ, इसके बाद शवयात्रा निकाली जाएगी और प्रतीकात्मक रूप से शवदाह भी किया जाएगा। इसके उपरांत दसवां और तेरहवीं का भी कार्यक्रम चंदौली कचहरी में सम्पन्न होगा। फिर भी जनप्रतिनिधियों की चेतना जागृत नहीं हुई तो अधिवक्ता उनका गया श्राद्ध कर पिंडदान भी करेंगे। जनप्रतिनिधि यदि जिले के विकास को सुनिश्चित नहीं करते हैं तो अधिवक्ता समाज चंदौली से दिल्ली तक पदयात्रा कर इनकी करनी को राष्ट्रीय पटल पर रखेगा।